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शिवसेना प्रियंका की हुईं मुरीद, बोली- नींद उड़ा रखी है भाजपा की

लखीमपुर खीरी में केंद्रीय राज्यमंत्री के पुत्र की गाड़ी से चार किसानों को रौंदकर मार डालने के मामले में शिवसेना ने भाजपा पर निशाना साधा है. साथ ही पत्र ने अपने संपादकीय में लिखा है कि इतनी बड़ी घटना हो जाने के बाद भी चैन से सोई भाजपा को जगाने का काम प्रियंका गांधी ने किया है. पढ़िए पूरी खबर...

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Published : Oct 10, 2021, 1:18 PM IST

Updated : Oct 10, 2021, 3:37 PM IST

शिवसेना का सामना
शिवसेना का सामना

मुंबई: लखीमपुर खीरी में केंद्रीय राज्यमंत्री के पुत्र की गाड़ी द्वारा चार किसानों को रौंदकर मार डालने के मामले में शिवसेना ने भाजपा पर निशाना साधा है. इसी विषय पर शिवसेना ने आज अपने मुखपत्र सामना में संपादकीय लिखा है कि इस तरह कि घटना के आरोपी को गिरफ्तार करने में देरी की गई जबकि मंत्रीपुत्र की जगह कोई और होता तो ईडी, सीबीआई जैसी एजेंसियां गिरफ्तार कर लेतीं. वहीं इतनी बड़ी घटना हो जाने के बाद भी भाजपा चैन से सोई थी, लेकिन प्रियंका गांधी ने उसकी नींद उड़ाने का काम किया है.

संपादकीय में लिखा है कि दुनिया इस सवाल पूछ रही है कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में भाजपा के मंत्री पुत्र ने चा किसानों को कुचलकर मार डाला, विरोधी इसे इतना भुना क्यों रहे हैं? लेकिन इस घटना से राजनीति में भूचाल आ गया है. मामले में लखीमपुर खीरी में किसान सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे थे, इसीबीच केंद्रीय गृह राज्यमंत्री के बेटे आशीष और उसके दोस्त जीप से एक कार्यक्रम में जा रहे थे. इसी बीच रास्ते में आंदोलनरत किसानों को सड़कों पर देखकर गुस्साए मंत्री पुत्र ने किसानों पर गाड़ी चढ़ा दी जिसके बाद इतनी बड़ी घटना हो गई. सामना लिखा है कि अब ये पूरा मामला उत्तर प्रदेश की योगी सरकार का सिरदर्द बन गया है. वहीं उसी रात लखीमपुर खीरी में मृत किसानों के परिजनों से मिलने जा रहीं प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश पुलिस ने रोक दिया. बल्कि प्रियंका गांधी से धक्का-मुक्की की तथा उन्हें गैरकानूनी ढंग से नजरबंद करके रख गया था. इस पर प्रियंका गांधी ने सवाल किए थे कि ‘आप मुझे क्यों रोक रहे हो? आप किस धारा के तहत गिरफ्तार कर रहे हो?’ लेकि इन सवालों का जवाब सरकार के पास नहीं था! इसलिए प्रियंका की गिरफ्तारी अवैध सिद्ध होती है!

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सामना ने संपादकीय में लिखा है कि प्रियंका की गिरफ्तारी और उनके साहस को देखकर उत्तर प्रदेश पुलिस की चूलें हिल गईं. पत्र ने लिखा है कि प्रियंका गांधी को पुलिस जबरन पुलिस सीतापुर ले गई और बंद कर दिया. लेकिन जहां पर प्रियंका गांधी को रखा गया था वहां पर प्रियंका ने झाड़ू लेकर साफ-सफाई की. इससे देश में स्वच्छता अभियान में एक दिन झाड़ू पकड़कर फोटो खिंंचवाने वाले पर प्रियंका गांधी की एक झाड़ू भारी पड़ गई. साथ ही संपादकीय में यह भी लिखा है कि नेता जब हिम्मत दिखाते हैं तो कार्यकर्ताओं में विश्वास की मशाल जलती है. अंतत: सीतापुर में यही हुआ.

पत्र ने लिखा है कि इसीक्रम में मंगलवार को शिवसेना के सांसद और प्रवक्त संजय राऊत ने दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात की थी. इस दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि 'ये लोग लोकतंत्र को पूरी तरह से खत्म करने जा रहे हैं. लेकिन हम लड़ेंगे!' ये बयान इसलिए भी अहम था क्योंकि उस समय प्रियंका गांधी को यूपी सरकार ने 36 घंटे से नजरबंद कर रखा था.संपादकीय में लिखा है कि राहुल गांधी ने कहा था कि 'हमें जेल की चिंता नहीं होगी. प्रियंका में हिम्मत है. मैं कल ही लखनऊ के लिए प्रस्थान कर रहा हूं. मुझे गिरफ्तार भी कर लिया गया, तो भी हर्ज नहीं है.' उन्होंने कहा कि त्तर प्रदेश के तमाम राजनीतिज्ञ सब कुछ छोड़कर संघर्ष करने को तैयार हो गए हैं. सभी का हाथ कहीं-न-कहीं पत्थर के नीचे दबा है, इसलिए कोई भी 'खुलकर' नहीं लड़ता है. राहुल गांधी का आक्रोश शायद मायावती को लेकर हो. सामना ने लिखा है कि राहुल गांधी ने कहा कि उत्तर प्रदेश जैसा बड़ा राज्य जातियों और धर्मों में बंटा हुआ है. इसी वजह से भाजपा को लाभ होता है लेकिन एक समय ऐसा आएगा कि कांग्रेस, भाजपा को हराए बिना शांत नहीं बैठेगी. उम्मीद है, वह दिन जल्द ही आएगा.

इसीक्रम में राहुल गांधी ने पंजाब की समस्या पर कहा था कि सुलझ जाएगी. साथ ही उन्होंने कहा कि सभी विधायक कांग्रेस के साथ ही हैं. वे पुरानी व्यवस्था से नाराज थे. राऊत के द्वारा सिद्धू के बारे में पूछे जाने पर राहुल गांधी का कहना था कि वे भी शांत हो जाएंगे. वहीं आप और तृणमूल कांग्रेस के मतों का विभाजन करके गोवा में भाजपा को ही लाभ पहुंचाने पर राहुल ने कहा कि तृणमूल और आम आदमी पार्टी कांग्रेस को निगल रही है. उन्हें भाजपा की कम-से-कम पूंछ तोड़नी चाहिए. कांग्रेस को कमजोर करना और उससे खुद आगे बढ़ना यह आखिरकार भाजपा के ही हित में है. ममता बनर्जी ने बंगाल जीत लिया, लेकिन उन्हें पूरे देश में स्वीकार नहीं किया जाता है वहीं केजरीवाल केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली के राजा हैं. लेकिन इन सभी को राहुल गांधी या प्रियंका गांधी नहीं चाहिए, जबकि उनमें देश का नेता बनने की क्षमता है.

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संपादकीय में लिखा है कि हालांकि राहुल और प्रियंका गांधी आखिरकार लखीमपुर खीरी पहुंच गए और उन्होंने मृत किसानों के परिजनों को सांत्वना दी. इसके लिए सरकार से संघर्ष करना पड़ा. इंदिरा गांधी यह सब करती थीं. इसी की झलक प्रियंका गांधी के संघर्ष में देखने को मिली. 44 साल पहले इसी तरह इंदिरा गांधी को 3 अक्टूबर, 1977 को गिरफ्तार किया गया था. पुलिस इंदिरा गांधी को दिल्ली से गिरफ्तार करके हरियाणा ले जा रही थी. इसका इंदिरा गांधी ने विरोध किया और हाथापाई हुई. मार्ग में बड़खल रेलवे क्रॉसिंग के पास फाटक बंद था. इसलिए पुलिस के काफिले को वहीं रुकना पड़ा. इस दौरान इंदिरा गांधी जीप से कूद गईं और सड़क के पास निर्माणाधीन पुल पर उन्होंने डेरा जमा लिया. उन्होंने आगे बढ़ने से इनकार कर दिया, इस पर काफी बवाल हुआ. उस समय संपर्क के साधन वैसे थे ही नहीं. मोबाइल फोन छोड़ ही दें, साधारण फोन भी ज्यादा नहीं थे. परंतु इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी की खबर जंगल में आग की तरह फैल गई और हजारों कांग्रेस कार्यकर्ता 'इंदिरा जी आगे बढ़ो' के नारे लगाते हुए रेलवे क्रॉसिंग पर जुट गए. पुलिस और सरकार बेबस हो गई. इंदिरा गांधी के एक साहसिक कार्य ने कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया. आखिरकार, पुलिस इंदिरा गांधी को मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश करने को मजबूर हो गई और उस अवैध हिरासत से इंदिरा गांधी रिहा हो गईं.

पत्र लिखता है कि हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष बेहाल नजर आ रहा है. वहीं गठबंधन होने से पहले ही अहंकार की सुई से गठबंधन टूट जाते हैं क्योंकि सभी को अपना राज्य का सूबा संभालना है और मौजूदा राजनीतिक हालात में दिल्ली का मांडलिक बनकर दिन काटना है. इंदिरा गांधी और उनकी कांग्रेस नहीं चाहिए इसलिए सन् 1977 में एक गठबंधन तैयार हुआ था. विरोधी एकजुट हुए और सत्ताधारी कांग्रेस को परास्त किया था. आश्चर्य की बात यह है कि जो कांग्रेस आज सत्ता में नहीं है, उसे भी अन्य विरोधियों के कार्य पसंद नहीं आते हैं. आज सभी को एक साथ लानेवाले जयप्रकाश नारायण नहीं हैं और लड़ने की प्रेरणा देनेवाले जॉर्ज फर्नांडीस भी नहीं हैं. हर कोई जोड़तोड़ करने वाला बन गया है. इस पृष्ठभूमि में लखीमपुर खीरी का मामला, उससे पैदा हुईं प्रियंका नामक चिंगारी महत्वपूर्ण लगती है.

Last Updated : Oct 10, 2021, 3:37 PM IST

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