मुंबई: शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में एकबार फिर भारतीय जनता पार्टी को निशाने पर लिया है. सामना के संपादकीय में छपे लेख में शिवसेना ने लिखा कि सरदार पटेल फौलादी पुरुष थे ही. नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने गुजरात में उनकी अतिभव्य फौलादी प्रतिमा स्थापित की. सरदार पटेल किसानों के नेता थे. ब्रिटिशों के खिलाफ उनके द्वारा किया गया साराबंदी आंदोलन और बारडोली सत्याग्रह निर्णायक साबित हुआ. किसानों का आंदोलन खड़ा करके उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी को नाकों चने चबवा दिए, लेकिन दिल्ली की सीमा पर और देश की सीमा पर जो कुछ चल रहा है, उसके कारण फौलादी पुरुष की प्रतिमा की आंखें भी नम हो गई होंगी.
किसानों पर लाठीचार्ज को लेकर साधा निशाना
चीन के सैनिक हिंदुस्थानी सीमांतर्गत लद्दाख में घुस आए हैं, उसी समय पंजाब और हरियाणा के किसानों को दिल्ली की सीमा पर रोक दिया गया है. सिर्फ रोक ही नहीं दिया गया है, बल्कि उन पर बल प्रयोग और साम, दाम, दंड, भेद का भी प्रयोग किया जा रहा है. नए कृषि कानून के विरोध में पंजाब और हरियाणा के किसान आंदोलन कर रहे हैं. किसानों को दिल्ली के रामलीला मैदान पर जाना है, लेकिन केंद्र ने लाठीचार्ज और ठंडे पानी के फव्वारे फेंकने के अलावा अश्रु गैस के गोले फेंककर उन्हें रोकने का प्रयास किया. कड़ाके की ठंड में अलसुबह किसानों पर ठंडे पानी के फव्वारे छोड़ना अमानवीयता है. फिर भी किसान पीछे हटने को तैयार नहीं हैं.
सीएम मनोहर लाल को बयान पर घेरा
किसान इतने आक्रामक और जिद्दी कभी नहीं हुए थे. अब किसान सुन नहीं रहे और केंद्र सरकार के विरोध में प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ हंगामा कर रहे हैं, ऐसा कहने पर भाजपा व केंद्रीय यंत्रणा ने अपना हमेशा का जंतर-मंतर और जादुई हाथ सफाई का प्रयोग शुरू कर दिया है. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बेतुका बयान दिया कि किसानों के आंदोलन में खालिस्तानवादी घुस गए हैं. मतलब किसानों का आंदोलन देशद्रोही है. हरियाणा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनकड ने तो ऐसा दावा किया कि किसानों के आंदोलन में ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ का नारा दिया गया. उन्होंने ऐसी क्लिप भी जारी की.
समाप्त हो चुका खालिस्तान का मुद्दा
भारतीय जनता पार्टी का कदम देश के माहौल को बिगाड़ने वाला ही नहीं, बल्कि अराजकता को निमंत्रण देनेवाला भी है. खालिस्तान का मुद्दा समाप्त हो चुका है. उस अंधे युग से बाहर निकलने के लिए इंदिरा गांधी और जनरल अरुण कुमार वैद्य ने अपने प्राणों की आहुति दे दी, लेकिन खालिस्तान का मामला भाजपावाले आज फिर से कुरेद रहे हैं और उसकी चिंगारी भड़का कर पंजाब में अपनी राजनीति शुरू करना चाहते हैं. पंजाब की ये चिंगारी फिर से भड़क उठी तो यह देश को भारी पड़ेगा. एकाध मामला हाथ से निकलने लगे तो ‘हिंदुस्थान-पाकिस्तान’ का खेल शुरू करना, उनकी हाथ सफाई पहले से तय ही है.
अपनी मांगों को लेकर कर रहे प्रदर्शन
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पाकिस्तान जिंदाबाद, स्वतंत्रता और आजादी के नारे दिए जाने के जब सबूत सामने आए, तब उसमें ये आरोप झूठे साबित हुए. अपने ही लोगों का मेकअप करके वहां घुसाना और ऐसे कृत्य करवाना इससे देश की एकता, शांति और अखंडता उद्ध्वस्त होती रहती है. किसान दिल्ली की सीमा पर रुके हुए हैं और वे अपनी मांगों को लेकर लड़ रहे हैं. वे पंजाब के हैं इसलिए उन्हें देशद्रोही और खालिस्तानवादी साबित करने का विचार मानसिक दरिद्रता का लक्षण है. किसानों पर दंगे के मुकदमे दाखिल किए गए हैं. उन पर हत्या और हत्या का प्रयास जैसे आरोप लगाए गए हैं.
लद्दाख या जम्मू-कश्मीर में नहीं होता ऐसा बल प्रयोग