नई दिल्ली :आत्मनिर्भर भारत के तहत जहाज निर्माण से बहुत सारे रोजगार पैदा होंगे. यह कहना है जहाज बनाने वाले गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लि. (जीआरएसई) के सीएमडी एडमिरल वीके सक्सेना का.
सक्सेना ने शुक्रवार को बेंगलुरु में एयरो इंडिया 2021 एयरशो में 'ईटीवी भारत' के साथ विशेष बातचीत में कहा कि शिप बनाना बहुत मेहनत का काम है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हजारों रोजगार पैदा करेगा. उन्होंने कहा कि रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के तहत 26 सौ करोड़ के जहाज निर्माण के आदेश हैं. हाल ही में सेशेल्स और गुयाना से दो अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर भी मिले हैं.
जीआरएसई के सीएमडी एडमिरल वीके सक्सेना से बातचीत गुयाना से करीब 99 करोड़ का आर्डर मिला है. उन्होंने कहा कि हम इसका भी ध्यान रखते हैं कि कहीं कोई नई तकनीक आई है तो उसे भी अपनाने की कोशिश करते हैं ताकि और बेहतर किया जा सके. शिप बिल्डिंग का राजस्व के क्षेत्र में बड़ा योगदान है. आटो सेक्टर जहां केवल 3 फीसदी का योगदान करता है शिप बिल्डिंग और वार शिप बिल्डिंग का योगदान 6.8 फीसदी है.
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गौरतलब है कि जीआरएसई अपने राजस्व अधिकांश भाग पोत निर्माण डिविजन से प्राप्त करती है. अपनी पोत एवं युद्धपोत निर्माण क्षमता के अतिरिक्त जीआरएसई इंजन उत्पादन तथा अन्य इंजीनियरिंग गतिविधियों से भी जुड़ी हुई है. जीआरएसई ने वर्ष 1961 में भारत का पहला देशी युद्धपोत आईएनएस अजय का निर्माण किया था.