चेन्नई : भारत की नई एथलीट क्वीन विथ्या रामराज (Vithya Ramraj) ने देश की पहली गोल्डन गर्ल पीटी उषा की याद दिला दी है. विथ्या कोयंबटूर की हैं. उनके पिता ट्रक ड्राइवर हैं. विथ्या ने 55.68 सेकेंड में 400 मीटर बाधा दौड़ पार कर कांस्य पदक जीता, जबकि उनकी जुड़वा बहन निथ्या चौथे स्थान पर रहीं.
कुछ साल पहले एक टूर्नामेंट में विथ्या ने फटे जूते पहनकर गोल्ड जीता था. तब उनके पैर से खून भी निकल रहा था. उस वक्त शायद ही किसी को अंदाजा होगा कि एक दिन यह लड़की अपनी जीत से पूरे देश का मान बढ़ाएगी. यह उनके दृढ़ संकल्प, मेहनत, लगन, धैर्य और उम्मीद का परिणाम है. ट्रक ड्राइवर की इस बेटी ने कितनी बाधाएं पार की, उसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है. वह तीन बहन हैं. उनकी माता गृहणी हैं.
उनके लिए कांस्य पदक काफी मायने रखता है. उन्होंने पायली एक्सप्रेस पीटी उषा के रिकॉर्ड की बराबरी की है. उनकी जुड़वा बहन निथ्या चौथे स्थान पर रहीं. शायद क्षण भर की बात थी, वरना वह मेडल भी जीत सकती थीं. विथ्या ने इसी एशियन गेम में 1600 मीटर रिले मिक्स्ड प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल भी जीता.
उनका परिवार मीनाक्षीपुरम के एक रेंटल रूम में रहता आ रहा था. अब उन्होंने अपना एक नया घर बनवा लिया है. सबसे बड़ी बहन की शादी हो चुकी है. दोनों छोटी बहनें अपने सपने की उड़ान को पंख दे रही हैं. हालांकि, वैसा परिवार जिन्हें दो जून की रोटी जुटाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है, उनके लिए यह रास्ता चुनना आसान नहीं था. साथ-साथ समाज की चुनौतियां अलग थीं. उनके पिता से भी लोगों ने पूछा, आखिर वे लड़कियां हैं, उनकी शादी किस तरह से करेंगे. उनकी मां मीना ने बताया कि उन्हें पग-पग पर इस तरह के सवालों का सामना करना पड़ा है.
दूसरे क्या कहते हैं, उन्होंने कभी इस पर ध्यान नहीं दिया. ईटीवी भारत से बात करती हुईं मीना ने बताया कि 'मेरी आर्थिक स्थिति क्या है, यह मैं जानती हूं, फिर भी हमने अपनी बेटी के लिए पैसे जुटाए, ये अलग बात है कि इससे मेरा आर्थिक बोझ बढ़ गया.' मीना ने कहा कि 'एक जूते की कीमत 25 हजार रुपये और वह भी बहुत दिनों तक चलने वाला नहीं है.' वैसे, एशियन गेम्स में उनकी बेटी का खर्च सरकार ने वहन किया. खेल कोटे से ही दोनों बहनों को अब नौकरी भी मिल चुकी है.