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उत्तराखंड का अनोखा 'दराती' मंदिर, यहां प्रसाद में चढ़ाते हैं धारदार हथियार, जानिए देवालय की पूरी कहानी - दराती मंदिर की कहानी

Famous Darati Temple of Uttarakhand देवभूमि उत्तराखंड में अनोखी परंपराएं हैं. कहीं मक्खन की होली खेली जाती है तो कहीं पाषाण युद्ध होता है. ऐसी ही एक अनोखी परंपरा नैनीताल जिले के फतेपुर गांव के जंगल में स्थापित मंदिर को लेकर है. इस मंदिर में प्रसाद के रूप में लइया, बताशे या फूल नहीं चढ़ाए जाते हैं, बल्कि यहां धारदार हथियार चढ़ाने की परंपरा है.

Darati temple of Nainital
नैनीताल समाचार
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 28, 2023, 5:32 PM IST

Updated : Oct 30, 2023, 11:58 AM IST

अद्भुत है ये मंदिर!

नैनीताल (उत्तराखंड): देवभूमि के कण-कण में देवी देवताओं का वास माना जाता है. देवभूमि मान्यताओं और परंपराओं वाला प्रदेश है. देवी देवताओं के मंदिरों में नारियल, घंटी, चुन्नी, तेल, दिया, अगरबत्ती चढ़ाते तो आपने देखा ही होगा, लेकिन उत्तराखंड का एक ऐसा मंदिर है जहां हथियार चढ़ाये जाते हैं. अपनी इसी विशेषता के कारण ये मंदिर बहुत प्रसिद्ध है.

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दराती मंदिर नैनीताल जिले में है

उत्तराखंड का प्रसिद्ध दराती मंदिर:ये दराती मंदिर जितना अनोखा है, इससे जुड़ी मान्यताएं भी उतनी ही अद्भुत हैं. मंदिर में भक्त धारदार दरातियां लेकर प्रभु को प्रसन्न करने पहुंचते हैं. ये अनोखा मंदिर हल्द्वानी से महज 14 किलोमीटर फतेहपुर गांव के पहाड़ और जंगलों के बीच बना है. करीब 40 साल पुराने मंदिर को गांव वाले गोपाल बिष्ट भगवान का मंदिर कहते हैं. मान्यता है कि गोपाल बिष्ट भगवान से जो मुराद मांगो पूरी होती हैं.

इस मंदिर में दराती को प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं

इस मंदिर में चढ़ाते हैं दराती:दिलचस्प बात ये है कि मनोकामना पूरी करने के बदले में श्रद्धालु मंदिर के ठीक सामने खड़े करणु के पेड़ पर तिलक लगी दराती गाड़ देते हैं. कहा जाता है कि इससे गोपाल बिष्ट भगवान प्रसन्न होते हैं. मान्यता है कि गांव के लोगों के मवेशियों के बीमार होने या दूध देना बंद करने पर ग्रामीण भगवान गोपाल बिष्ट के मंदिर की विभूति उस पर लगाते हैं, इसके बाद मवेशी ठीक हो जाता है ऐसा गांव वाले कहते हैं.

दराती मंदिर में धारदार हथियार चढ़ाते हैं

दराती गाड़ने के बाद भी नहीं सूखता है पेड़:मंदिर के ठीक सामने वर्षो पुराना करणु का पेड़ है. इस पेड़ में सैकड़ों दरांतियां गड़ी हुई हैं. चौंकाने वाली बात ये है कि इसके बाद भी पेड़ नहीं सूखा है. मान्यता है कि भगवान गोपाल बिष्ट की कृपा से यह पेड़ हमेशा हरा भरा रहता है. मंदिर की खासियत है कि विशेष मौके पर इस मंदिर में भव्य पूजा अर्चना की जाती है. मंदिर में पूजा की परंपरा कई सालों से चली आ रही है.

ये है मंदिर की मान्यता:कहते हैं गोपाल बिष्ट भगवान की कृपा से जंगली जानवर खेतों में खड़ी फसल और इंसानों को नुकसान नहीं पहुंचाते. यही नहीं मंदिर क्षेत्र जंगल से घिरा हुआ है. जंगल में बड़ी संख्या में बाघ, तेंदुए, गुलदार और भालू जैसे हिंसक जीव जंतु रहते हैं. आश्चर्य की बात है कि मंदिर में आने जाने वालों को कभी इन जानवरों ने नुकसान नहीं पहुंचाया है. अपनी अनोखी मान्यताओं और चमत्कारों के लिए ये मंदिर दूर-दूर तक विख्यात है.
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शरद पूर्णिमा पर हुआ भंडारा:फतेहपुर गांव के जनप्रतिनिधि नीरज तिवारी कहते हैं कि गोपाल बिष्ट मंदिर की मान्यता उत्तराखंड ही नहीं बल्कि पूरे देश में है. यह अनोखा मंदिर है जहां भगवान को प्रसन्न करने के लिए दराती चढ़ाई जाती है. इस मंदिर में पूजा से न तो जंगली जानवर खेतों में खड़ी फसल को नुकसान पहुंचाते हैं और न ही जंगल से सटे होने के बावजूद बाघ और लेपर्ड जैसे खूंखार जानवर ग्रामीण और पालतू जानवरों को नुकसान नहीं पहुंचते हैं. उन्होंने बताया कि आज शरद पूर्णिमा के मौके पर मंदिर में भव्य भजन कीर्तन का आयोजन किया गया. जहां भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. भगवान गोपाल बिष्ट को प्रसाद स्वरूप दराती चढ़ाई गई. इसके बाद विशाल भंडारे का आयोजन किया गया.
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Last Updated : Oct 30, 2023, 11:58 AM IST

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