मुंबई : घरेलू शेयर बाजारों में सात दिन की गिरावट के बाद शुक्रवार को तेजी लौटी. दोनों मानक सूचकांक... बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी 2.5 प्रतिशत तक बढ़त में रहे. यूक्रेन पर हमले को लेकर रूस पर अमेरिका तथा उसके सहयोगी देशों की तरफ से लगायी गयी कड़ी पाबंदियों के साथ वैश्विक बाजारों में आयी तेजी का सकारात्मक असर घरेलू बाजार पर पड़ा. कारोबारियों के अनुसार डॉलर के मुकाबले रुपये में मजबूती और शेयरों के दाम निचले स्तर पर आने से कारोबारियों की लिवाली से बाजार को समर्थन मिला.
यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद गुरुवार को शेयर बाजार में एक दिन में दो साल की सबसे बड़ी गिरावट आयी थी. बीएसई सेंसेक्स 1,328.61 यानी 2.44 प्रतिशत उछलकर 55,858.52 अंक पर बंद हुआ. इसी प्रकार, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 410.45 अंक यानी 2.53 प्रतिशत की तेजी के साथ 16,658.40 अंक पर बंद हुआ.
एचयूएल और नेस्ले को छोड़कर सेंसेक्स के सभी शेयर लाभ में रहे. टाटा स्टील, इंडसइंड बैंक, बजाज फाइनेंस, एनटीपीसी और टेक महिंद्रा में 6.54 प्रतिशत तक की तेजी रही. गुरुवार को सेंसेक्स 2,700 अंक से अधिक लुढ़क गया था. दो साल में किसी एक दिन की यह सबसे बड़ी गिरावट थी. निफ्टी में भी 815 अंक की भारी गिरावट आयी थी.
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि वैश्विक बाजारों में सकारात्मक रुख के साथ घरेलू शेयर बाजारों में तेजी लौटी. पिछले कारोबारी सत्र में भारी बिकवाली के बाद शेयरों के दाम काफी नीचे आ गये थे, इससे लिवाली को समर्थन मिला. उन्होंने कहा, 'रूस पर लगे प्रतिबंधों को लेकर भी वैश्विक बाजारों ने राहत की सांस ली. अमेरिकी सरकार की नई पाबंदियों में रूस से तेल निर्यात या स्विफ्ट (सोसाइटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशन) वैश्विक भुगतान नेटवर्क को निशाना नहीं बनाया गया है. हालांकि रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध को लेकर गतिविधियों से बाजार में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है.'
साप्ताहिक आधार पर सेंसेक्स इस हफ्ते 1,974 अंक यानी 3.41 प्रतिशत और निफ्टी 618 अंक यानी 3.57 प्रतिशत नीचे आया. जुलिएस बेअर के कार्यकारी निदेशक नितिन रहेजा ने कहा कि यह साफ हो गया है कि नाटो देशों की युद्ध में शामिल होने की कोई इच्छा नहीं है और इसकी जगह वे पाबंदियों का सहारा लेंगे. इससे वैश्विक स्तर पर जोखिम को लेकर धारणा कम हुई है. उन्होंने कहा कि भारत के नजरिये से भू-राजनीतिक तनाव का कच्चे तेल और जिंसों के दामों पर पड़ने वाला असर है. अगर कच्चा तेल 100 डॉलर प्रति बैरल पर बना रहता है तो मुद्रास्फीति दबाव और चालू खाते के घाटे में वृद्धि के रूप में नकारात्मक आर्थिक प्रभाव होगा. रूस पर पाबंदियों की घोषणा के बाद अमेरिकी शेयर बाजार में तेजी के साथ एशिया के अन्य प्रमुख बाजारों में भी मजबूती आयी. यूरोप के प्रमुख बाजारों में दोपहर कारोबार में तेजी का रुख रहा.
इस बीच, अमेरिका, यूरोपीय संघ और जापान ने यूक्रेन की मदद का संकल्प जताया है. साथ ही रूस पर और आर्थिक तथा वित्तीय पाबंदियां लगाने पर सहमति जतायी है. इन सबके बावजूद रूसी सेना लगातार यूक्रेन की राजधानी की ओर बढ़ रही है. उधर, अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.67 प्रतिशत बढ़कर 100.80 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया. विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया 27 पैसे चढ़कर 75.33 पर पहुंच गया. शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार यूक्रेन संकट के बीच विदेशी संस्थागत निवेशकों ने बृहस्पतिवार को 6,448.24 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे.
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