मधेपुरा:बिहार के मधेपुरा स्थित शरद यादव के घर (Sharad Yadav house in Madhepura ) पर सन्नाटा पसरा हुआ है. मधेपुरा की यह जमीन शरद यादव की राजनीतिक कर्मभूमि रही थी. शरद यादव मधेपुरा से ही चार बार संसद पहुंचे. आज उनके जाने के बाद उनके आवास और उन तमाम जगहों पर विरानी छायी हुई है, जहां कभी उनके रहने से लोगों का जमघट लगा रहता था. उन्हें चाहने वाले लोग मर्माहत हैं. कुछ लोग जिन्होंने उनके साथ काम किया था, पुराने दिन को याद करते ही उनकी आंखों से आंसू छलकते दिखे. लोगों ने इतना ही कहा 'अब चुप हो गई गरीबों की आवाज'.
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काफी प्रयास के बाद आए थे मधेपुराः मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र से चार बार सांसद रहे शरद यादव के निधन की खबर सुनकर कर मधेपुरा स्थित शरद यादव के आवास पर सुबह से कार्यकर्ता रोते बिलखते देखे गए. शरद यादव मूल रूप से मध्यप्रदेश के रहने वाले थे, लेकिन उनकी कर्मभूमि बिहार रही. उन्होंने मधेपुरा को अपनी राजनीतिक जमीन के रूप में चुना. पूर्व विधायक परमेश्वरी प्रसाद बताते हैं कि वह छात्र राजनीति के समय से ही शरद यादव के साथ थे. उन्होंने बताया कि मैंने देखा है कि कैसे मध्यप्रदेश के एक युवा नेता को हमलोगों ने यहां लाया और इस पिछड़े क्षेत्र से वह चार बार सांसद बने.
"विद्यार्थी जीवन से ही शरद यादव के साथ जुड़े थे. उनको मध्यप्रदेश से बिहार लाने का बहुत प्रयास किये और वह मधेपुरा आए. यहां से चार बार एमपी बने. उन्होंने बिहार में सैकड़ों लोगों को एमपी-एमएलए बनाया और यहां आठ मुख्यमंत्री बनाने में भी अहम भूमिका निभाई"-परमेश्वरी प्रसाद निराला, पूर्व विधायक मधेपुरा
मधेपुरा जैसे पिछड़े जगह में शरद जी ने बहाई विकास की बयारःपुराने दिनों को याद करते हुए शरद यादव के चुनावी एजेंट रहे डॉ भूपेन्द्र यादव मधेपुरी बताते हैं कि जब भी क्षेत्र में कार्यक्रम के दौरान गरीब, दलित, पिछड़ों की गरीबी को देखते थे तो अपनी गाड़ी रुकवाकर उनसे बात करते थे. आजादी के बाद पहली बार शरद यादव ने मधेपुरा जैसे पिछड़े क्षेत्र में विकास का कार्य किया. शरद यादव जब पहली बार चुनाव जीते थे, तो मधेपुरा में विकास नाम की कोई चीज नहीं थी. शरद यादव की ही देन है कि मधेपुरा को पूर्व प्रधानमंत्री स्व.अटल बिहारी वाजपेई के कार्यकाल में दो एनएच 106 और 107 मिली थी. उस समय एनएचआई मिनिस्टर बीसी खंडूरी थे.
मधेपुरा में मेडिकल-इंजीनियरिंग काॅलेज शरद यादव की देनःआजादी के बाद मधेपुरा जैसे बिहार के पिछड़े इलाके को राजनीतिक कर्मभूमि बनाने वाले शरद यादव ने यहां समाजवाद के उत्थान के लिए कई सारे काम किए. न सिर्फ मधेपुरा और बिहार में बल्कि पूरे देश में समाजवाद के वह एक मजबूत स्तंभ थे. उन्होंने ही मधेपुरा में विकास की बयार लाई. मधेपुरा में यूनिवर्सिटी, मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, भागलपुर और मधेपुरा के बीच विजय घाट पुल, फुलौत महासेतु का निर्माण करवाया. इसके अलावा मधेपुरा और सहरसा में सैकड़ों पुल पुलिया सहित सड़कों का निर्माण शरद यादव की ही देन है.
मधेपुरा में किया जाए शरद यादव का अंतिम संस्कारः मधेपुरा में उनके करीबियों और कार्यकर्ताओं ने शरद यादव का अंतिम संस्कार करवाने की बात की. शरद यादव के करीबी बिजेंद्र यादव ने कहा कि हमलोगों ने उनके परिवार से बात की है कि कम से कम उनका दाह संस्कार मधेपुरा में कराया जाए. इससे उनकी एक झलक देखने को मिल जाएगी. हमलोगों को क्या पता था कि बीच में छोड़कर वह इस तरह से चले जाएंगे. डाॅ. बीबी प्रभाकर ने कहा कि हमलोग दुख की इस घड़ी में उनके परिवार को सामर्थ्य प्रदान करने की भगवान से कामना करते हैं.