मुंबई : महाराष्ट्र की राजनीति में उस समय हलचल मच गई, जब नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार ने अध्यक्ष पद छोड़ने की घोषणा कर दी. पवार ने कहा कि उन्होंने लंबे समय तक पार्टी का नेतृत्व किया है, इसलिए अब समय आ गया है कि पार्टी नए नेतृत्व पर विचार करे. इस ऐलान के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी शुरू कर दी. उन्होंने पवार से अपना निर्णय बदलने का आग्रह किया.
पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने इसी बैठक में कहा कि जनता के हित में आप अपने फैसले पर दोबारा विचार करें. वैसे, सूत्रों का कहना है कि पवार ने यह फैसला एनसीपी की गुटबंदी के कारण लिया है. पिछले कुछ दिनों से ऐसी खबरें आ रहीं थीं कि एनसीपी का एक धड़ा भाजपा के साथ जाना चाहता है. इस धड़े में अजित पवार और प्रफुल्ल पटेल जैसे नेता शामिल हैं. इन नेताओं का दावा कि पार्टी के विधायक ऐसा चाहते हैं. वहीं दूसरा धड़ा चाहता है कि एनसीपी कांग्रेस और उद्धव गुट के साथ रहे. यह धड़ा यह भी मानता है कि पार्टी को किसी भी तरह से एमवीए का हिस्सा बना रहना चाहिए. खुद पवार भी चाहते हैं कि वे भाजपा से गठबंधन नहीं करें.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार शरद पवार ने बहुत ही सोच समझकर यह फैसला लिया है. वह चाहते हैं कि उनकी पार्टी की स्थिति शिवसेना जैसी न हो, यानी उद्धव के कमजोर होते ही उनकी पार्टी पर किसी और का कब्जा हो गया. पवार यह भी देखना चाहते हैं कि आगे का रास्ता पार्टी किस तरह से तय करती है, वह इसे करीब से देखेंगे. किस नेता का क्या पक्ष होगा, उनकी क्या राय होगी, इसे देखने के बाद ही वह अगला कदम उठाएंगे.