पुणे: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के संस्थापक शरद पवार ने वर्ष 1978 में महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री वसंतदादा पाटिल के खिलाफ उठाए गए उनके कदम का परोक्ष संदर्भ देने को लेकर अजित पवार पर तंज कसते हुए सोमवार को कहा कि वह कोई बगावत नहीं थी, बल्कि आपसी सहमति से लिया गया एक निर्णय था.
वर्ष 1978 में शरद पवार 40 विधायकों के साथ सरकार से अलग हो गए थे जिससे पाटिल सरकार गिर गई थी. उस वर्ष 18 जुलाई को राकांपा प्रमुख शरद पवार ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. वह 38 साल की उम्र में इस पद पर आसीन होने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति थे.
दो जुलाई को राकांपा को विभाजित करके एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल होने वाले अजित पवार ने बारामती में रविवार को शरद पवार पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि उनका यह रुख 60 वर्ष की उम्र पार करने के बाद है, जबकि कुछ लोग 38 वर्ष की उम्र में ही इस रास्ते पर चल पड़े थे.
उपमुख्यमंत्री ने दावा किया था कि यशवंतराव चव्हाण ने शरद पवार के कदम का विरोध किया था क्योंकि वसंतदादा पाटिल जैसे नेता को दरकिनार कर दिया गया था. अजित पवार ने कहा था, 'वसंतदादा एक अच्छे नेता थे लेकिन उन्हें दरकिनार कर दिया गया और जनता पार्टी के साथ प्रयोग किया गया. इसलिए ऐसा नहीं है कि पहले किसी ने उस तरह का कदम नहीं उठाया, जैसा मैंने उठाया. मैंने 60 साल की उम्र पार करने के बाद ऐसा फैसला लिया, इसलिए हर किसी को मेरे रुख को समझने की जरूरत है.'
इस पर पलटवार करते हुए शरद पवार ने कहा, 'हमारे समय में कोई बगावत नहीं थी. हम बैठकर फैसले लेते थे. इसलिए इस तरह (बगावत) की कोई बात नहीं थी. यह आपसी सहमति से लिया गया फैसला था, इसलिए किसी के शिकायत करने का सवाल ही नहीं था.'
विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (I.N.D.I.A) के पास प्रधानमंत्री पद का कोई चेहरा नहीं होने के बारे में पूछे जाने पर शरद पवार ने कहा कि 1977 के लोकसभा चुनाव (आपातकाल के बाद) में भी किसी को प्रधानमंत्री के चेहरे के रूप में पेश नहीं किया गया था.