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Sharad Pawar attacks PM Modi: कृषि मंत्री के रूप में मेरे कार्यकाल के दौरान फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि हुई : पवार

पीएम मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने गुरुवार को शिरडी में विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करने के बाद जनसभा को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने NCP चीफ शरद पवार का नाम लिए बिना उन पर निशाना साधा. (PM Modi Maharashtra Visit, NCP founder Sharad Pawar)

Sharad Pawar attack on PM Modi
शरद पवार

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 28, 2023, 4:38 PM IST

मुंबई: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने शनिवार को कहा कि केन्द्रीय कृषि मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान न केवल अनाज के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 'तेजी' से वृद्धि हुई, बल्कि उन्होंने कुछ ऐसे भी कदम उठाए, जिनसे फसलों की पैदावार भी बढ़ी. शिरडी में बृहस्पतिवार को एक कार्यक्रम में दिये गए भाषण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उनकी आलोचना किये जाने के जबाव में पवार ने यह बात कही.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, 'कुछ लोगों ने महाराष्ट्र में किसानों के नाम पर केवल राजनीति ही की। महाराष्ट्र के एक वरिष्ठ नेता देश के कृषि मंत्री रहे. मैं व्यक्तिगत रूप से उनका सम्मान करता हूं, लेकिन उन्होंने किसानों के लिए क्या किया.' पवार केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार (2004-14) में कृषि मंत्री थे. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि जब पवार केंद्रीय कृषि मंत्री थे, तब किसान बिचौलियों के रहमो करम पर थे.

प्रधानमंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पवार ने कहा कि जब उन्होंने 2004 में कृषि मंत्री के तौर पर कार्यभार संभाला था, तब देश में खाद्यान्न की कमी थी. पवार ने कहा, '2004 में चावल का एमएसपी 550 रुपये था, जो 2014 तक बढ़कर 1,310 रुपये हो गया. इसमें 168 प्रतिशत की वृद्धि हुई.' उन्होंने दावा किया कि इसी तरह सोयाबीन जैसी फसलों के एमएसपी में 198 प्रतिशत की वृद्धि हुई.

पढ़ें:PM Modi Maharashtra Visit : प्रधानमंत्री मोदी का शरद पवार पर तंज, कहा- कुछ लोगों ने किसानों के नाम पर सिर्फ राजनीति की

राकांपा नेता ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रीय बागवानी मिशन के लिए कई महत्वाकांक्षी पहल की. उन्होंने कहा कि 'राष्ट्रीय कृषि विकास योजना' ने कृषि क्षेत्र को बदल दिया है. उन्होंने कहा कि पहले पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और दक्षिण भारत के कुछ राज्य खाद्यान्न के लिए जाने जाते थे, लेकिन पूर्वोत्तर के राज्यों, छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा में चावल का उत्पादन भी बढ़ा,जिससे दूसरी हरित क्रांति हुई.

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