गयाः गया के बोधिवृक्ष के पास एक ऐसा शांति स्तूप स्थापित है, जिसका निर्माण अशांति फैलानेवाले हथियारों के खोखे से हुआ (Gaya Shanti Stupa Made From Cartridge Case) है. श्रीलंकाई सेना और लिट्टे के बीच 33 साल तक चला गृहयुद्ध जब खत्म हुआ तो इतने खोखे जमा किए जा चुके थे कि उससे दो जगह शांति स्तूप का निर्माण कर दिया गया. तोप के गोलों से लेकर कारतूस के खोखे तक को जमा किया गया. इससे बना एक शांति स्तूप श्रीलंका में और दूसरा गया में स्थापित किया गया. गया का शांति स्तूप पूरे विश्व को शांति का संदेश देता है. बोधगया पहुंचनेवाले पर्यटक इस शांति स्तूप को देखने जरूर पहुंचते हैं.
33 साल तक चला था गृहयुद्धः बता दें कि वर्ष 1976 से लेकर 2009 तक श्रीलंका में सेना और लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के बीच लंबा गृहयुद्ध चला था. इस युद्ध में कई तरह के हथियारों के उपयोग हुआ था. इसमें श्रीलंकाई सेना के अफसर-जवान, नागरिक-बच्चे और काफी संख्या में लिट्टे समर्थक मारे गए थे. वर्ष 2009 में ही लिट्टे ने श्रीलंकाई सेना के समक्ष समर्पण कर दिया था, जिसके बाद करीब तीन दशकों तक चला यह युद्ध थमा था. बोधगया में स्थित यह शांति स्तूप अशांति फैलाने वाले तोप के गोले और खोखे से बना है और विश्व को शांति का बड़ा पैगाम दे रहा है. श्रीलंकाई सेना और लिट्टे के बीच उपयोग हुए हथियारों से निकले खोखे के पीतल से इसे बनाया गया है.
बनाया गया था दो शांति स्तूपःयुद्ध खत्म होनेके बाद श्रीलंकाई सरकार ने विश्व को शांति का संदेश देने के लिए दो शांति स्तूप बनाए थे. इससे संदेश देने की कोशिश थी कि भविष्य में ऐसा युद्ध न हो. पूरे विश्व में कहीं भी किसी प्रकार का युद्ध या हिंसा न हो. विश्व में इस प्रकार का बना शांति स्तूप एक श्रीलंका में है, तो दूसरा भारत के बोधगया में महाबोधी सोसायटी ऑफ इंडिया (श्रीलंकाई मठ) के परिसर में है.