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केदारनाथ मंदिर सोना-पीतल मामला, सरकार ने अभीतक नहीं कराई जांच, शंकराचार्य बोले- भगवान के साथ हुए धोखे की हो पड़ताल

Kedarnath temple gold brass controversy केदारनाथ धाम में सोने के पीतल में बदलने का विवाद सरकार और बदरी-केदार मंदिर समिति का पीछा ही नहीं छोड़ रहा है. एक तरफ जहां केदारसभा के तीर्थ पुरोहित इस मामले को लेकर पहले से ही सरकार और बदरी-केदार मंदिर समिति के घेरने में लगे हुए हैं, वहीं अब शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने इस मामले की जांच पर सवाल खड़े किए हैं. Kedarnath Gold to Copper Controversy

kedarnath temple
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 21, 2023, 2:37 PM IST

Updated : Sep 21, 2023, 6:32 PM IST

केदारनाथ मंदिर सोना-पीतल मामले की सरकार ने अभीतक नहीं कराई जांच.

देहरादून (उत्तराखंड): केदारनाथ धाम में मदिर के गर्भगृह में सोने की परत चढ़ाने का विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. इस विवाद ने एक बार फिर से जोर पकड़ लिया है. यह सब इसलिए भी हुआ है क्योंकि केदारनाथ के कुछ तीर्थ पुरोहित अपनी कई मांगों को लेकर आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं, जिसमें से उनकी एक प्रमुख मांग ये भी है कि सोने के असली या नकली होने की जांच के लिए जो कमेटी बनाई गई थी, उसे फिर से ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है. तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि इन आरोपों पर न तो बदरी-केदार मंदिर समिति और न ही सरकार में कुछ हलचल दिखाई दे रही है.

इस विवाद को नया तूल उस समय और मिल गया, जब शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने भी मंदिर समिति को आड़े हाथों लिया. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने साफ किया है कि यदि केदारनाथ मंदिर में लगे सोने की जांच नहीं की जाती है, तो यही समझा जाएगा कि भगवान केदारनाथ के साथ धोखा हुआ है.
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वायरल वीडियो से उठा था विवाद: दरअसल, इसी साल जून में केदारनाथ धाम के गर्भगृह से एक वीडियो सोशल पर वायरल हुआ था. वीडियो में दावा किया जा रहा था कि केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में लगाया गया एक अरब 15 करोड़ रुपए का सोना पीतल में तब्दील हो गया. हालांकि. इन आरोपों का खुद बदरी-केदार मंदिर समिति ने खंडन किया था. उन्होंने केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में लगे सोने की कीमत करीब 14 करोड़ रुपए बताई थी. वैसे इस मामले में कांग्रेस ने भी सरकार को जमकर घेरा था.

केदारनाथ मंदिर सोना-पीतल मामले पर बदरी-केदार मंदिर समिति ने लेटर जारी किया था.

आज तक नहीं हुआ कमेठी का गठन: हालांकि, विवाद बढ़ने पर धामी सरकार ने इस मामले की जांच कराने का फैसला लिया था. सरकार ने संस्कृति एवं धार्मिक मामलों के सचिव हरिचंद्र सेमवाल और गढ़वाल कमिश्नर की अध्यक्षता में एक जांच टीम गठित करने का कहा था. चौंकाने वाली बात है कि उस आदेश पर आजतक अमल नहीं हो पाया.
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जांच शुरू क्यों नहीं हुई?: धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने तब यहां तक कहा था कि कमेटी में विशेषज्ञों के साथ-साथ स्वर्णकार भी शामिल किए जाएंगे. अगर जांच में कुछ भी घपला निकलकर सामने आया, तो दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. हालांकि अब फिर से सवाल यही खड़ा हो रहा है कि आखिर अबतक इस संवेदनशील मुद्दे पर जांच शुरू क्यों नहीं हुई है?

केदारनाथ मंदिर

केदारसभा अध्यक्ष राजकुमार तिवारी समेत अन्य पदाधिकारियों ने कहा कि इस मामले पर सरकार और मंदिर समिति को फिर से घेरा जा रहा है. उन्होंने सरकार से पूछा है कि इस मामले पर अभीतक सब लोग शांत क्यों बैठे हैं? केदारनाथ में आने वाले भक्त उनसे सवाल करते हैं कि गर्भगृह में लगने वाला सोना असली है या नकली. इसके साथ ही इस मामले में बदरीनाथ महालक्ष्मी मंदिर के मुख्य पुजारी दिनेश डिमरी ने भी अब सरकार से मांग की है कि वो जल्द से जल्द इसकी जांच करवाएं ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके.

शंकराचार्य बोले भगवान के साथ धोखा हुआ है:वहीं, इस मामले पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि इतने लंबे समय के बाद सरकार ने मामले की जांच नहीं कराई है, ये केदारनाथ धाम और आस्था के लिए सही नहीं है. इतने दिनों के बाद भी ये मसला विवादों में है. कोई भी कुछ भी बोलने और करने के लिए तैयार नहीं है.
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शंकराचार्य का कहना है कि ये सवाल उठने के बाद भी सरकार और मंदिर समिति खामोश रहती है तो यही समझा जाएगा कि भगवान केदारनाथ के साथ धोखा हुआ है. लोगों को यही लगता है कि मंदिर से शंकराचार्य जुड़े हैं और ये सब उनकी देखरेख में हुआ है. मतलब उनकी छवि के ऊपर भी भक्त सवाल कर रहे हैं. इसलिए सरकार जल्द इस मामले में जांच करे और जो सच है उसे बताए. यदि कोई दोषी निकले तो उसे सजा मिले.

केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में लगाई गई सोने की परतें.

क्या है सोने की परत का असली विवाद: दरअसल पिछले साल 2022 में सितंबर महीने में केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में सोने की परत चढ़ाने का काम हुआ था. मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने बताया था कि मुंबई के एक व्यापारी ने 23 किलो सोना मंदिर समिति को दान किया है. इसके बाद गर्भगृह की दीवारों और छत पर सोने की परत चढ़ाई जा रही है. सोने की परत चढ़ाने का काम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के दो अधिकारियों की देखरेख में पूरा हुआ था, जिसमें लगभग 19 कारीगर लगाए गए थे. मंदिर समिति ने यह भी कहा था कि सोना चढ़ाने से पहले रुड़की आईआईटी सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च के साथ-साथ एएसआई के सदस्यों ने भी केदारनाथ पहुंचकर पूरी रूपरेखा समझी थी.

भक्तों की आस्था को ठेस पहुंचाते हैं इस तरह के विवाद: मंदिर समिति के सदस्य आशुतोष डिमरी का कहना है कि केदारनाथ धाम से पीएम मोदी और सीएम धामी दोनों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है. पीएम मोदी अक्सर एक भक्त की तरह यहां समय बिताते हैं. करोड़ों हिंदुओं की आस्था इस मंदिर से जुड़ी हुई है, लेकिन इस तरह का विवाद भक्तों की आस्था को ठेस पहुंचाता है. इसलिए मंदिर में लगे सोने का सच जल्द से जल्द से बाहर आना चाहिए. इस तरह के विवाद धार्मिक स्थल के लिए ठीक नहीं हैं.
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मंदिर समिति के अध्यक्ष का बयान: इन सभी विवादों पर ईटीवी भारत ने बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय से फोन पर बात की. अध्यक्ष अजेंद्र अजय से जब विवाद पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि उन्होंने कुछ लोगों के काम बंद कर दिए हैं, जिससे वो परेशान हो गए हैं. सोने की परत पर उन्होंने कहा कि, मंदिर समिति में इस मसले पर न कोई विवाद पहले था और न ही आज है. इसलिए जांच की कोई बात ही नहीं है. खुद पीएम और पीएमओ तक ये बात पहुंच चुकी है. अगर कुछ भी गलत होता तो अब तक सामने आ जाता. कुछ लोग धार्मिक स्थल का माहौल खराब कर रहे हैं. वो लोग कभी धरना देते हैं तो कभी शंकराचार्य जी को आगे कर देते हैं. सभी को ये समझना चाहिए कि केदारनाथ के साथ कोई धोखा नहीं कर सकता है और न ही कोई घोटाला हुआ है, इसलिए जांच की कोई बात ही नहीं है.

Last Updated : Sep 21, 2023, 6:32 PM IST

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