शंकराचार्य का बिलासपुर में बड़ा बयान बिलासपुर: इन दिनों देश भर में बागेश्वर सरकार पंडित धीरेंद्र शास्त्री और उनका दिव्य दरबार चर्चा में है. धीरेंद्र शास्त्री लोगों के मन की बात बिना बताए जानने और उनकी समस्याओं के समाधान का दावा करते हैं. धीरेंद्र शास्त्री इसके लिए दिव्य दरबार भी लगाते हैं. ऐसा ही दिव्य दरबार छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में भी लगा.
बागेश्वर धाम महाराज के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं: शंकराचार्य ने कहा कि ''हमको व्यक्तिगत उनके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. रायपुर में क्या कार्यक्रम हो रहा है, इसकी भी हमें पूरी जानकारी नहीं है. ज्योतिष शास्त्र के आधार पर अगर वहां कोई भविष्य कहा जा रहा है तो वह शास्त्र की कसौटी पर है, उसको हम मान्यता देते हैं. हमारा यह कहना है कि जो भी धर्मगुरुओं के द्वारा कहा जाए वह शास्त्र की कसौटी पर कसा हुआ होना चाहिए, मनमाना नहीं होना चाहिए. अगर किसी शास्त्र की कसौटी पर कसा हुआ गुरु के मुख से कोई बात निकल रही है तो उसको हम मान्यता देते हैं.''
बागेश्वर धाम के चमत्कार पर शंकराचार्य का सवाल जोशीमठ में धंसती जमीन को रोककर दिखाएं: शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि चमत्कार दिखाने वाले जोशीमठ आकर धसकती जमीन रोककर दिखाएं. फिर हम उनकी जय, जयकार करेंगे, नमस्कार करेंगे। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने एक तरह से बातों बातों में धीरेंद्र शास्त्री बागेश्वर महाराज को चुनौती दे डाली.
धर्मांतरण की असली वजह कुछ और है: शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि ''धर्मांतरण चाहे छत्तीसगढ़ में हो, चाहे कहीं हो, धर्मांतरण धार्मिक कारण से नहीं हो रहा है. जो धर्मांतरण कराने वाले लोग हैं, वो भी इसलिए नहीं करा रहे हैं कि लोग धार्मिक रुप से ऊंचे उठ जाएं, बल्कि उनका उद्देश्य भी राजनीतिक है. वो पूरे विश्व में अपना राज्य स्थापित करने के लिए अपनी संख्या बढ़ा रहे हैं. क्योंकि आजकल राजनीति में संख्या का महत्व हो गया है.''
राजनीतिक कारणों से धर्मांतरण का विरोध: ''जो धर्मांतरण का विरोध हो रहा है, वह भी धार्मिक कारण से नहीं हो रहा है. धर्मांतरण का विरोध भी राजनीतिक कारण से हो रहा है कि हम जब धर्मांतरण का विरोध करेंगे तो कुछ लोगों को यह बात अच्छी लगेगी तो हमारे वोटर बढ़ जाएंगे. धर्म और राजनीति दोनों अलग विषय है. सनातन धर्म में धर्म और राजनीति को अलग रखा गया है.'' शंकराचार्य 15 दिनों के छत्तीसगढ़ दौरे पर हैं.
अविमुक्तेश्वरानंद ने इस दौरान भक्तों को वेदों, शत्रो में लिखी बातों को बताते हुए कहा कि ''आज के समय मे राजा ऐसा होना चाहिए जो विलासिता की जिंदगी जीने की बजाए सामान्य जीवन जीकर जनता को उनकी जीवन जीने में आ रही परेशानी से राहत पहुंचाए. शंकराचार्य जी ने कहानी के माध्यम से उदाहरण देते हुए बताया कि यदि राजा कुछ सालों के लिए राजा बनाया जाए तो वह अपनी भविष्य की चिंता करते हुए ऐशो आराम में रहने के प्रबंध करेगा. जिस ऐशोआराम में वह राजा रहते हुए करता रहा है, इसलिए राजा को हमेशा सामान्य जीवन जीना चाहिए, ताकि फिजूलखर्ची कम हो और इससे जनता को महंगाई से राहत मिले.''
पाकिस्तान के अस्तित्व पर भी उठाए सवाल :शंकराचार्य के मुताबिक जब मुसलमान इस देश मे खुश है तो पाकिस्तान के अस्तित्व की जरूरत नहीं : आपको जानकारी दें कि पिछले दिनों जबलपुर में दिए अपने बयान को लेकर उन्होंने कहा था, कि '' जब अंग्रेज भारत छोड़कर गए थे, उस समय मोहम्मद अली जिन्ना ने कहा था कि मुसलमानों को अलग कर दिया जाए, क्योंकि वह अपनी धरती पर जाकर खुश रहेंगे, इसलिए भारत के टुकड़े किए गए थे और पाकिस्तान बनाया गया था.''
''उस समय भी कुछ मुसलमान भारत में ही रह गए. यदि उन्हें यहां सुख और शांति की प्राप्ति हो रही है तो फिर पाकिस्तान बनाने की क्या आवश्यकता है. इसलिए एक बार इस मामले में पुनर्विचार किया जाए और फिर से अखंड भारत का निर्माण किया जाए. इसी देश में मुस्लिम और हिंदुओं के बीच रहना हिंदू और मुसलमान दोनों की नियति है तो फिर अलग देश की आवश्यकता नहीं है, इसलिए एक बार फिर से पाकिस्तान पर पुनर्विचार कर दोनों देश को एक कर दिया जाए, इसमें कोई बहुत ज्यादा तकलीफ की बात नहीं है, केवल कागज पर दोनों देश को अपनी सहमति देनी होगी.''
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