कुल्लू : हिंदू धर्म में त्रयोदशी को बेहद शुभ माना जाता है. त्रयोदशी तिथि भगवान शंकर को समर्पित है. इस दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है. हर माह में त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत पड़ता है. माह में दो बार प्रदोष व्रत पड़ता है. एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में. साल में कुल 24 प्रदोष व्रत होते हैं. इस दिन विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा- अर्चना की जाती है. इस बार भादो मास में 18 सितंबर को शनि प्रदोष व्रत रखा जाएगा.
प्रदोष तिथि के दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना होती है. हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस बार प्रदोष व्रत शनिवार को पड़ रहा है, इसलिए इसे शनि प्रदोष व्रत कहते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व होता है. बुध प्रदोष व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है. इस व्रत को करने से संतान पक्ष को लाभ होता है.
शनि देव भगवान शिव के भक्त हैं
शनि देव को ज्योतिष शास्त्र में क्रूर और न्याय करने वाला ग्रह माना गया है. शनि जब अशुभ होते हैं तो व्यक्ति हर कार्य में बाधा और परेशानी का सामना करना पड़ता है. शनि देव जब अधिक परेशान करने लगें तो भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए. मान्यता है कि शनि देव, शिव भक्तों को परेशान नहीं करते हैं. एक पौराणिक कथा के अनुसार शनि देव ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी, तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने शनि देव को सभी ग्रहों का न्यायाधीश यानि दंडाधिकारी नियुक्त किया था.
प्रदोष व्रत की पूजा-विधि
प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है. प्रदोष काल संध्या के समय सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले शुरू हो जाता है. प्रदोष व्रत के दिन व्यक्ति को जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए और स्नान करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें. घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करने के बाद भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें. वहीं, भगवान भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें.
इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें. किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है. भक्त भगवान शिव को भोग लगाएं. इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है और भगवान शिव की आरती करें.