शिमला:ब्रिटिश हुकूमत के समय से बहते पानी से सोना पैदा करने वाले शानन प्रोजेक्ट को लेकर अब पंजाब सरकार अड़ियल रुख अपनाती दिख रही है. हिमाचल के गठन के समय से ही पड़ोसी राज्य देवभूमि के हक पर कुंडली मारकर बैठे हैं. चाहे वो मामला बीबीएमबी (भाखड़ा-ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड) से जुड़ी परियोजनाओं का हो या फिर चंडीगढ़ में हिस्सेदारी को लेकर अथवा पौंग बांध विस्थापितों की समस्या, हिमाचल को न्याय की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद हिमाचल को बीबीएमबी परियोजनाओं में बकाया एरियर नहीं मिला है. अब नया मामला शानन प्रोजेक्ट को लेकर है.
दरअसल, 110 मैगावाट बिजली उत्पादन वाले इस प्रोजेक्ट से सालाना सौ करोड़ रुपए का राजस्व मिलता है. ब्रिटिश हुकूमत के समय 1905 में मंडी के राजा के साथ एक समझौता हुआ था. उस समय शानन प्रोजेक्ट 99 साल की लीज पर था. लीज अवधि खत्म होने के बाद समझौते के अनुसार ये प्रोजेक्ट उसे मिलना था, जिस राज्य में ये जमीन है. पंजाब पुनर्गठन एक्ट के बाद इस प्रोजेक्ट पर हिमाचल का हक था, लेकिन मामला सुलझा नहीं. अब मार्च 2024 में लीज अवधि खत्म हो रही है. हिमाचल के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू पंजाब के सीएम से मिलकर इस प्रोजेक्ट को हिमाचल को वापस करने की बात कह चुके हैं.
इसी बीच, पंजाब के विद्युत मंत्री हरभजन सिंह मंडी के जोगेंद्र नगर में शानन प्रोजेक्ट का निरीक्षण करने पहुंचे. चूंकि इस समय शानन प्रोजेक्ट को पंजाब सरकार का उपक्रम पंजाह स्टेट पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड संचालित कर रहा है, लिहाजा प्रोजेक्ट का सारा लाभ पंजाब को मिलता है. पंजाब पुनर्गठन एक्ट के बाद 1966 से पंजाब सरकार इसे संचालित कर लाभ कमा रही है. पंजाब बेशक यहां से राजस्व जुटा रहा है, लेकिन परियोजना के रखरखाव पर पंजाब सरकार कोई ध्यान नहीं देती.
फिलहाल, विवाद के अदालत के चौखट पर पहुंचने के आसार बन गए हैं. कारण ये है कि पंजाब के ऊर्जा मंत्री हरभजन सिंह ने हाल ही में जोगेंद्र नगर में शानन पावर हाउस के निरीक्षण के दौरान कहा कि पंजाब सरकार इस परियोजना का संचालन कर रही है और ये 1966 के एक्ट के बाद पंजाब के हिस्से आया है. ऐसे में हिमाचल सरकार को इस प्रोजेक्ट को वापस पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की नौबत आने वाली है.