लखनऊ:उत्तर प्रदेश में अगर भाजपा के शानदार चुनावी प्रदर्शन की बात करें तो आप बेशक 2017 के विधानसभा चुनाव की बात करेंगे. क्योंकि इस चुनाव में भाजपा को अपार जनसमर्थन से ही 312 सीटों पर ऐतिहासिक जीत मिली थी. वहीं, इस जीत का सेहरा तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष व मौजूदा गृहमंत्री अमित शाह के सिर पर बांधा गया. इतना ही नहीं उन्हें कई उपनाम भी दिए गए. किसी ने उन्हें सियासी चाणक्य कहा तो किसी ने भाजपा का हनुमान करार दिया, लेकिन इतना कुछ होने के बावजूद इन पांच सीटों पर भाजपा जमानत तक नहीं बचा सकी थी.
2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की आंधी चली थी. वहीं, 384 सीटों पर चुनाव लड़ी भाजपा को 312 सीटों पर ऐतिहासिक जीत मिली. यूपी के चुनावी इतिहास में यह भाजपा का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था, लेकिन इस आंधी में भी पांच ऐसी सीटें थीं, जहां लाख प्रयासों के बावजूद पार्टी अपना जमानत तक नहीं बचा पाई थी.
मोदी लहर में भी यूपी की इन सीटों पर नहीं खिला था कमल बता दें कि विधानसभा चुनाव में जमानत की राशि बचाने को किसी प्रत्याशी को कुल पड़े वोटों में से 16.6 फीसद वोट लाना अनिवार्य होता है. लेकिन ऐसा न होने की स्थिति में प्रत्याशी की जमानत जब्त मान ली जाती है और जमानत के तौर पर जमा किए रुपये भी उसे वापस नहीं मिलते हैं.
इन सीटों पर अप्रभावी रही भाजपा की आंधी
मोदी लहर में भी यूपी की इन सीटों पर नहीं खिला था कमल सबसे पहले हम बात करेंगे बदायूं की सहसवान विधानसभा सीट की, जहां भाजपा प्रत्याशी को महज 10.15 फीसद वोट मिले थे. वहीं, समाजवादी पार्टी के ओंकार सिंह को कुल 77 हजार 534 वोट पड़े थे, यानी उन्हें 32.6 फीसद वोट हासिल हुए थे. इधर, भाजपा के आशुतोष वार्ष्णेय को 24 हजार 152 वोट मिले थे.
यहां एक बार भी नहीं जीती भाजपा
सहसवान विधानसभा सीट पर आज तक न तो भाजपा और न ही बसपा जीत सकी. दरअसल, यह सीट यादव-मुस्लिम मतदाता बाहुल्य सीट है. यही कारण है कि भाजपा इस सीट पर जीत दर्ज करने में कामयाब नहीं हो पाई है और 1990 के बाद से यहां यादव जाति का ही उम्मीदवार जीतता रहा है.
इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या करीब 4 लाख 12 हजार 698 है.
- पुरुष मतदाता– 2,21,922
- महिला मतदाता– 1,90,760
वहीं, अमेठी जनपद की गौरीगंज विधानसभा सीट पर भी भाजपा की जमानत जब्त हो गई थी. यहां से समाजवादी पार्टी के राकेश प्रताप सिंह विजयी हुए थे और उन्हें कुल 77 हजार 915 मत यानी 38.98 फीसद वोट पड़े थे. इस सीट पर भाजपा के उमाशंकर पांडेय को 23 हजार 642 यानी 11.83 फीसद वोट मिले थे.
जानिए गौरीगंज विधानसभा सीट के बारे में
मोदी लहर में भी यूपी की इन सीटों पर नहीं खिला था कमल साल 2010 से पहले गौरीगंज सुलतानपुर जिले का हिस्सा था, लेकिन बाद में यह अमेठी जिले में शामिल हो गया. प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक गौरीगंज की कुल आबादी करीब 3,26,723 है. वहीं, यहां की कुल आबादी में 1,65284 पुरूष और 1,61,439 महिलाएं शामिल हैं. इस सीट पर आखिरी बार साल 2002 में कांग्रेस की प्रत्याशी ने जीत दर्ज की. हालांकि, 5 बार इस सीट पर कांग्रेस की महिला प्रत्याशी राजपति देवी ने जीत दिलाई थी. उन्होंने पहली बार गौरीगंज सीट से कांग्रेस का खाता खोला था.
हैट्रिक लगाने की तैयारी में सपा
2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी गौरीगंज सीट से हैट्रिक लगाने की तैयारी में है. जबकि सबका साथ, सबका विकास का दावा करने वाली भाजपा इस सीट को हासिल करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है. क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में यहां भाजपा प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा सके थे.
कमोवेश कुछ इसी तरह के सूरत-ए-हाल रायबरेली सदर विधानसभा सीट पर भी देखने को मिले. यहां कांग्रेस की अदिति सिंह को कुल 1 लाख 28 हजार 319 वोट पड़े थे, यानी उन्हें 62.94 फीसद वोट मिले थे. वहीं, भाजपा प्रत्याशी अनीता श्रीवास्तव को केवल 28 हजार 821 यानी 14.14 फीसद वोट मिले थे.
मोदी लहर में भी यूपी की इन सीटों पर नहीं खिला था कमल बदले अदिति के बोल
हालांकि, वर्तमान में अदिति सिंह के संबंध कांग्रेस से बहुत अच्छे नहीं हैं. नौबत यहां तक आ गई है कि अब अदिति कांग्रेस के खिलाफ सरेआम बयान भी दे रही हैं. वहीं, इस बीच उन्होंने कई बार योगी सरकार के कदमों की खुले मंचों से प्रशंसा भी की है.
मोदी लहर में भी यूपी की इन सीटों पर नहीं खिला था कमल वहीं, हाथरस की सादाबाद विधानसभा सीट पर भी भाजपा अपनी जमानत बचाने में नाकामयाब रही थी. यहां से बसपा के वरिष्ठ नेता रामवीर उपाध्याय ने जीत दर्ज की थी और उन्हें कुल 91 हजार 365 यानी 40.51 फीसद वोट मिले थे.
मोदी लहर में भी यूपी की इन सीटों पर नहीं खिला था कमल वहीं, भाजपा की प्रीती चौधरी को 36 हजार 134 यानी 16.02 फीसद वोट पड़े थे. खैर, अबकी इस सीट पर भाजपा के लिए संभावनाएं बढ़ गई हैं. क्योंकि विधायक रामवीर उपाध्याय को बसपा ने निलंबित कर दिया है तो वहीं उनकी की पत्नी समेत पूरा परिवार अब भाजपा में शामिल हो चुका है. ऐसे में रामवीर उपाध्याय के अबकी भाजपा की टिकट से चुनाव लड़ने की संभावना अधिक लग रही है.
इसके अलावा भाजपा प्रयागराज की सोरांव विधानसभा सीट पर भी जमानत नहीं बचा सकी थी, लेकिन ऐसा गलतफहमी की वजह से हुआ था. दरअसल, सोरांव सीट पर भाजपा ने पहले प्रत्याशी दिया था. लेकिन ऐन वक्त पर यह सीट सहयोगी अपना दल को दे दिया गया था, लेकिन तब तक काफी देर हो गई थी और ऐसे में भाजपा प्रत्याशी अपना पर्चा वापस नहीं ले पाए थे.
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खैर, इस सीट पर अपना दल को जीत मिली थी. अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सोरांव से अपना दल के डॉ. जमुना प्रसाद सरोज को कुल 77 हजार 814 वोट यानी 37.02 फीसद वोट पड़े थे. वहीं, भाजपा के सुरेंद्र चौधरी को 6 हजार 522 वोट यानी 3.10 फीसद वोट ही मिले थे. हालांकि, पार्टी ने बाद में सुरेंद्र चौधरी को 2021 में विधान परिषद का सदस्य बना दिया.