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SC ex Air Force personnel: सुप्रीम कोर्ट ने बर्खास्त वायु सैनिक को ₹1.54 करोड़ का मुआवजा देने का आदेश दिया - वायु सैनिक को डेढ़ करोड़ का मुआवजा

सुप्रीम कोर्ट ने एक वाय सैनिक को अस्पताल में इलाज के दौरान एचआईवी होने के मामले में बड़ी राहत दी है. बाद में सैनिक को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया.

Shaken foundation of dignity robbed him of honour SC awards Rs over one crore compensation to ex Air Force personnel
सुप्रीम कोर्ट ने एचआईवी पीड़ित पूर्व वायु सैनिक को ₹1.5 करोड़ का मुआवदा देने का आदेश दिया

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 27, 2023, 8:29 AM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार जम्मू-कश्मीर में 2002 में 'ऑपरेशन पराक्रम' के दौरान अस्पताल में खून चढ़ाने से एचआईवी संक्रमित होने के मामले में बर्खास्त एक वायु सैनिक को मुआवजा के रूप में 1.54 करोड़ रुपये देने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि सशस्त्र बलों सहित सभी पदाधिकारियों का यह कर्तव्य है कि वे कर्मियों के लिए सुरक्षा के उच्चतम मानकों को सुनिश्चित करें.

न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि लोग देशभक्ति की भावना के साथ सशस्त्र बलों में शामिल होते हैं और यह अपने जीवन को दांव पर लगाने और अपने जीवन के अंतिम बलिदान के लिए तैयार रहने का निर्णय है. हालाँकि, पीठ ने कहा कि वर्तमान मामले में प्रतिवादियों के व्यवहार में गरिमा, सम्मान और करुणा के मौलिक सिद्धांत स्पष्ट रूप से अनुपस्थित था.

शीर्ष अदालत ने माना कि वायु सेना और भारतीय सेना चिकित्सा लापरवाही के लिए परोक्ष रूप से उत्तरदायी हैं क्योंकि इसने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाकर्ता की अपील को स्वीकार कर लिया, जिसने उसकी शिकायत को खारिज कर दिया था. याचिकाकर्ता को 2014 में बीमार पड़ने के बाद एचआईवी का पता चला था.

2014 और 2015 में मेडिकल बोर्ड गठित किए गए जिसमें जुलाई 2002 में एक यूनिट रक्त चढ़ाए जाने के कारण उनकी विकलांगता के लिए जिम्मेदार पाया गया. 2016 में याचिकाकर्ता को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया और अधिकारियों ने सेवा विस्तार या विकलांगता प्रमाणपत्र देने के उसके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया.

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शीर्ष अदालत ने कहा कि यद्यपि उन्हें ठोस राहत देने का प्रयास किया है, लेकिन कोई भी मुआवजा और मौद्रिक शर्तें ऐसे व्यवहार से होने वाले नुकसान को कम नहीं कर सकती हैं, जिसने याचिकाकर्ता की गरिमा की नींव को हिला दिया है, उसका सम्मान लूट लिया है. शीर्ष अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) विक्रमजीत बनर्जी और न्याय मित्र अधिवक्ता वंशजा शुक्ला के प्रयासों की सराहना की. शीर्ष अदालत ने सुप्रीम कोर्ट कानूनी सेवा समिति (एससीएलएससी) को न्याय मित्र को 50 हजार रुपये का मानदेय देने का निर्देश दिया. शुक्ला ने कहा कि याचिकाकर्ता इस जीत के हकदार थे.

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