नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से इतिहास की किताबों से ताजमहल के निर्माण के बारे में कथित रूप से तथ्यात्मक रूप से गलत जानकारी हटाने और स्मारक की उम्र का पता लगाने की मांग करने वाले एक प्रतिनिधित्व पर निर्णय लेने को कहा. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने जनहित याचिका (पीआईएल) का निपटारा कर दिया, जिसमें दावा किया गया था कि मुगल सम्राट शाहजहां ने ताजमहल का निर्माण नहीं कराया था और केवल राजा मान सिंह के महल का नवीनीकरण किया था.
हाईकोर्ट ने नोट किया कि याचिकाकर्ता ने पहले सुप्रीम कोर्ट के समक्ष इसी तरह की प्रार्थना के साथ एक याचिका दायर की थी, जिसने एएसआई को एक अभ्यावेदन देने के प्रस्ताव के बाद उसे वापस लेने की अनुमति दी थी. शीर्ष अदालत ने दिसंबर 2022 में याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि जनहित याचिकाएं मछली पकड़ने की जांच की मांग के लिए नहीं हैं और अदालतें इतिहास को फिर से खोलने के लिए नहीं हैं.
शुक्रवार को याचिकाकर्ता सुरजीत सिंह यादव के वकील ने हाईकोर्ट को बताया कि उन्होंने जनवरी में एएसआई को अभ्यावेदन दिया, लेकिन अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है. इसके बाद हाईकोर्ट ने एएसआई से उनके दावे पर गौर करने और उनके प्रतिनिधित्व पर निर्णय लेने को कहा. एनजीओ हिंदू सेना के अध्यक्ष यादव ने अपनी जनहित याचिका में दावा किया है कि ताजमहल के निर्माण के बारे में जनता को गलत ऐतिहासिक तथ्य पढ़ाए और दिखाए जा रहे हैं. याचिका में अधिकारियों को कथित रूप से तथ्यात्मक रूप से गलत जानकारी हटाने का निर्देश देने की मांग की गई है.