हैदराबाद : मुंबई के शिवाजी पार्क में रविवार को स्वर कोकिला लता मंगेशकर के अंतिम संस्कार पहुंचकर अभिनेता शाहरुख खान (Shah Rukh Khan Lata Mangeshkar) ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की थी. इस दौरान शाहरुख ने दोनों हाथ उठाकर उनकी आत्मा की शांति के लिए दुआ की और फिर लता दीदी के पार्थिक शरीर पर फूंक भी मारी. इसे लेकर अब विवाद हो गया है. सोशल मीडिया पर फूंक को 'थूकना' बताकर शाहरुख खान को ट्रोल किया जा रहा है.
इस पर लोग अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. साथ ही इस पर बहस छिड़ गई है. सोशल मीडिया पर इस संबंध में फैलाई जा रही अफवाहों के बीच यह जानना बेहद जरूरी है कि इस्लाम में फूंक मारने की परंपरा क्या है.
इस्लामिक तौर-तरीकों के मुताबिक, जब कोई शख्स अपने या किसी दूसरे के लिए दुआ करता है तो वह दोनों हाथ उठाकर अल्लाह से मिन्नतें करता है और अरबी में कुरान की कुछ आयतें पढ़ता है. यह एक तरह से अल्लाह से कुछ मांगना या किसी अन्य के लिए दुआ करना है. इसमें किसी के स्वस्थ होने, किसी के लिए नौकरी, या किसी आत्मा की शांति के लिए दुआ या कुछ अन्य हो सकता है.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली के मुताबिक, दुआ पढ़कर फूंक मारने को 'दम' करना कहते हैं. उन्होंने कहा कि जब कोई बीमार होता या किसी को नजर लग जाती है तो उसके ठीक होने के लिए दुआएं पढ़कर दम किया जाता है. उन्होंने कहा कि अगर किसी बीमार के लिए कोई दुआ की गई है तो उस दुआ को पढ़कर फूंक मारी जाती है. कहा जाता है कि दुआ में कुरान की आयत को पढ़ा जाता है, दम करना उसका असर उस इंसान तक पहुंचाने का एक तरीका है. हालांकि, दुआ के लिए असर के लिए 'दम' करना जरूरी नहीं है, लेकिन ऐसा किया जा सकता है.