गोरखपुर: 5 मई को खगोलीय घटना के क्रम में उपछाया चंद्र ग्रहण लगेगा. उपच्छायी चंद्रग्रहण में चंद्रमा के प्रकाश में नग्न आंखों से कोई अंतर दिखाई नहीं देता. प्रकाश के छोटे-छोटे अणुओं या फोटोंस की संख्या, ग्रहण से पूर्व और ग्रहण के समय को गिनकर या तुलना करके बताते है. कि, ग्रहण में कितने प्रतिशत प्रकाश कम हुआ है. जब प्रकाश कम होने का प्रतिशत बहुत ही ज्यादा कम होता है. तो जन सामान्य को नग्न आंखों से चंद्रमा के प्रकाश में कोई परिवर्तन नहीं दिखाई देता है. ज्योतिष में इस प्रकार के ग्रहण का कोई सूतक नहीं माना जाता.
भारत वर्ष में उपच्छायी चंद्र ग्रहण कल 5 मई 2023 को रात में 8.45 से 1.02 बजे तक दिखाई देगा. इसे ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, साउथ/ईस्ट अमेरिका, यूरोप और सम्पूर्ण एशिया में देखा जाएगा. उपच्छायी चंद्रग्रहण में चंद्रमा के प्रकाश में नग्न आंखों से कोई अंतर दिखाई नहीं देता. इस घटना को रिकॉर्ड करने के लिए वैज्ञानिक फोटोमेट्री मैथड का प्रयोग करते है और प्रकाश के छोटे छोटे अणुओं या फोटोंस की संख्या, ग्रहण से पूर्व तथा ग्रहण के समय, को काउंट कर तथा तुलना कर के ये बताते है कि ग्रहण में कितने प्रतिशत प्रकाश कम हुआ है.
चूंकि, प्रकाश कम होने का प्रतिशत बहुत ही ज्यादा कम होता है. अतः जन सामान्य को नग्न आंखों से चंद्रमा के प्रकाश में कोई परिवर्तन नहीं दिखाई देता है. ज्योतिष में भी इस प्रकार के ग्रहण का कोई सूतक नहीं माना जाता. भारत वर्ष में उपच्छायी चंद्र ग्रहण दिनांक 5 मई 2023 को रात्रि में 8.45 से 1.02 बजे तक दिखाई देगा. इसे ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, साउथ/ईस्ट अमेरिका, यूरोप और सम्पूर्ण एशिया में देखा जाएगा.
यह जानकारी वीर बहादुर सिंह नक्षत्र शाला के खगोलविद अमरपाल सिंह ने दी. उन्होंने बताया है कि तारामंडल केंद्र द्वारा विशेष दूरबीन के माध्यम से इस खगोलीय घटना का अवलोकन कराया जायेग.। जिसके लिए उनसे और महादेव पांडेय, नक्षत्रशाला प्रभारी से लोग संपर्क कर सकते हैं. उन्होंने कहा है कि अगला सूर्य ग्रहण 14 अक्टूबर को अगला चंद्र ग्रहण दिनांक 29 अक्टूबर 2023 को आंशिक होगा. अगला पेनंबरल चंद्र ग्रहण 24 - 25 मार्च 2024 और 20-21 फरवरी 2027 को घटित होगा.
उन्होंने बताया कि चंद्रमा पृथ्वी का एक एकलौता प्राकृतिक उपग्रह है. जिसे आसानी से पृथ्वी से रात के समय देखा जा सकता है. यह करीब होने के कारण रात में आकाश का सबसे चमकदार पिंड होता है. चंद्रमा की अपनी स्वयं की कोई रोशनी नहीं होती है और यह सूर्य की रोशनी से ही प्रकाशमान होता है. पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है और उसी तरह से चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए सूर्य की परिक्रमा करता है.
चंद्रमा का परिक्रमा पथ पृथ्वी के तल से लगभग 5° झुका हुआ है. यह तीन पिंड रूप बनाते हैं. इन तीनों पिंडो के एक दूसरे की परिक्रमा करने के कारण कभी कभी तीनों पिंड एक सीधी रेखा में और एक ही तल संरेखित हो जाते है. इस स्थिति को सिज्गी (Syzgee) की स्थिति कहते है. इस स्थिति में या तो सूर्य ग्रहण की खगोलीय घटना घटित होती है या चंद्र ग्रहण की खगोलीय घटना घटित होती है.
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