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Helmets For Sikh Soldiers : सिख सैनिकों के लिए हेलमेट शामिल करने के किसी भी कदम का एसजीपीसी ने किया विरोध - शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी

एसजीपीसी प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि वह सिख सैनिकों के लिए बैलिस्टिक हेलमेट शामिल करने के किसी भी कदम का कड़ा विरोध करेगा. प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि किसी भी परिस्थिति में सिख सैनिकों के सिर पर हेलमेट स्वीकार नहीं किया जा सकता.

Helmets For Sikh Soldiers
प्रतिकात्मक तस्वीर.

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Published : Feb 4, 2023, 8:25 AM IST

अमृतसर : शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने सिख सैनिकों के लिए बैलिस्टिक हेलमेट शामिल करने के किसी भी कदम का कड़ा विरोध किया है. सिखों के सर्वोच्च धार्मिक निकाय एसजीपीसी के एक प्रतिनिधिमंडल ने इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) के प्रमुख से मुलाकात की. एसजीपीसी प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि सिख पहचान के मामले में किसी भी तरह का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि इसलिए, किसी भी परिस्थिति में सिख सैनिकों के सिर पर हेलमेट स्वीकार नहीं किया जा सकता.

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यह टिप्पणी इन खबरों के बीच आयी है कि सिख सैनिकों के लिए बैलिस्टिक हेलमेट शामिल करने पर विचार किया जा रहा है. एसजीपीसी के प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को नई दिल्ली में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के कार्यालय में बैठक में हिस्सा लिया. प्रतिनिधिमंडल में एसजीपीसी के महासचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल और एसजीपीसी सदस्य राघबीर सिंह सहारन माजरा शामिल थे. प्रतिनिधिमंडल ने सिख सैनिकों के लिए हेलमेट शामिल करने के सरकार के कथित प्रस्ताव पर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा के समक्ष कड़ी आपत्ति दर्ज करायी.

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सिख सैनिकों के लिए हेलमेट खरीदने की सेना की इच्छा पर विवाद बढ़ता जा रहा है. हालांकि, यह भी एक तथ्य है कि ब्रिटिश, कनाडाई और ऑस्ट्रेलियाई सेनाओं में सेवारत सिख सैनिकों को युद्ध की परिस्थितियों में हेलमेट पहनना आवश्यक है. इस साल 9 जनवरी को सिख सैनिकों के लिए लगभग 13,000 हेलमेट खरीदने के प्रस्ताव के लिए सेना के अनुरोध की सूचना दी गई थी. तब से अकाल तख्त के जत्थेदार, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष और कई राजनीतिक नेताओं ने इस मामले में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से पुनर्विचार करने की अपील की है.

हालांकि, तीन विदेशी सेनाओं के लिए समान नियमों पर शोध, जिसमें सिख पर्याप्त संख्या में सेवा करते हैं, यह दर्शाता है कि जहां इन सेनाओं ने विविध धार्मिक पृष्ठभूमि के लोगों को समायोजित करने के लिए अपने ड्रेस नियमों में बड़े पैमाने पर संशोधन किया है, वे व्यक्तिगत सुरक्षा के मुद्दे पर भी काफी ध्यान दिया है.

(इनपुट : पीटीआई-भाषा)

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