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लिंगानुपात में सुधार, पुरुषों से ज्यादा महिलाओं की आबादी : आर्थिक सर्वेक्षण

आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक देश में लिंगानुपात बढ़ा है (Sex ratio improves). महिलाओं की संख्या प्रति हजार पुरुषों पर बढ़कर 1020 हो गई है. वहीं प्रजनन दर (fertility rate) भी बढ़ी है. परिवार नियोजन विधियों का उपयोग भी बढ़ा है. वरिष्ठ संवाददाता कृष्णानंद त्रिपाठी की रिपोर्ट.

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Published : Jan 31, 2022, 9:49 PM IST

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लिंगानुपात में सुधार

नई दिल्ली : भारत की कुल जनसंख्या में प्रति 1,000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या में इजाफा हुआ है. आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि 2015-16 (राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण -4) में जो संख्या 991 थी वह 2019-21 में 1,020 हो गई है. पिछले पांच वर्षों में जन्म के समय लिंगानुपात में भी सुधार हुआ है. सरकार की 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी) जैसी योजना का भी असर पड़ा है.

सर्वेक्षण के मुताबिक जन्म के समय 1,000 लड़कों पर 919 लड़कियों से बढ़कर ये संख्या 929 हो गई है. सर्वेक्षण में कहा गया है कि पिछले पांच वर्षों में हिमाचल प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल, मेघालय, गोवा और नागालैंड को छोड़कर सभी राज्यों में बच्चों के जन्म के समय लिंगानुपात में सुधार हुआ है.

उदाहरण के लिए उत्तराखंड में जन्म के समय बच्चों का लिंग अनुपात 2015-16 में प्रति 1,000 लड़कों पर 888 लड़कियों से बढ़कर 2019-21 में 984 लड़कियों तक पहुंच गया. इसी तरह राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में यह अनुपात प्रति 1,000 लड़कों पर 812 लड़कियों से बढ़कर 923 लड़कियों का हो गया है.

लेकिन सर्वेक्षण में कुछ परेशान करने वाली प्रवृत्तियों पर भी प्रकाश डाला गया है. केरल जैसे प्रगतिशील राज्य में जन्म के समय लिंग अनुपात में गिरावट आई है. यह पांच साल पहले प्रति 1,000 लड़कों पर 1,047 था जो घटकर 951 रह गया है. इसी तरह मेघालय में जहां 2015-16 में प्रति 1,000 लड़कों पर यह अनुपात 1,009 लड़कियों का था, 2019-21 में घटकर 989 लड़कियों पर आ गया है.

प्रजनन दर प्रतिस्थापन दर से नीचे
वहीं, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण -5 के नवीनतम आधिकारिक आंकड़ों का हवाला देते हुए सर्वेक्षण में कहा गया है कि कुल प्रजनन दर (टीएफआर) घटी है. प्रति महिला बच्चों की औसत संख्या 2015-16 में 2.2 थी जो घटकर 2 हो गई है. कुल प्रजनन दर देश में प्रजनन क्षमता (प्रति महिला 2.1 बच्चे) के प्रतिस्थापन स्तर से भी नीचे आ गई है.

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सर्वेक्षण में कहा गया है कि मणिपुर, मेघालय, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में प्रजनन क्षमता का प्रतिस्थापन स्तर हासिल कर लिया गया है. यह कहा गया है कि गर्भनिरोधकों के बढ़ते उपयोग, विशेष रूप से आधुनिक तरीकों, बेहतर परिवार नियोजन और बालिका शिक्षा ने संभवतः प्रजनन दर में गिरावट में योगदान दिया है. परिवार नियोजन विधियों का उपयोग 2015-16 में 53.5% से बढ़कर 2019-21 में 66.7% हो गया है.

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