बक्सर :बिहार के बक्सर जिले से दिल दहला देने वाली तस्वीर सामने आई है. जिले के चौसा प्रखंड अंतर्गत महादेवा घाट पर गंगा किनारे 50 से अधिक लाशें उतराती मिली हैं. जिन्हें आवारा कुत्ते नोंचकर खा रहे हैं. पूरे मामले पर राजनीति भी शुरू हो गई है. आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है.
'ईटीवी भारत' ने डीएम को दी सूचना
'ईटीवी भारत' के संवाददाता ने इस हृदय विदारक दृश्य को देखते ही जिलाधिकारी से बात की और बताया कि महदेवा घाट पर एक किलोमीटर के दायरे में लाशें ही लाशें दिख रही हैं. कुत्ते नोंचकर खा रहे हैं. जिलाधिकारी ने तुरंत कार्रवाई का आश्वासन दिया. गूगल मैप से समझें गंगा में किस जगह मिली तैरती लाशें क्या कहते हैं स्थानीय
महादेवा घाट से जानकारी देते ईटीवी भारत संवाददाता 'संसाधनों के अभाव में कोरोना संक्रमित जिस व्यक्ति का मौत इलाज के दौरान घरों में हो गई. उनके परिजन गंगा घाटों पर कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण अपने परिजनों की लाश पानी में फेंक कर चले गए हैं. कई ऐसे गरीब लोग हैं जिनके घर में खाने के लिए एक टाइम का अनाज तक नहीं है. वह अपने परिजनों का अंतिम संस्कार कैसे करते. जिला प्रशासन एवं सरकार के द्वारा घाटों पर लकड़ी एवं दाह संस्कार के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है.'-राम प्यारे, स्थानीय सूचना पर पहुंचे प्रखंड विकास पदाधिकारी
'ईटीवी भारत' के संवाददाता की सूचना पर प्रखंड विकास पदाधिकारी अशोक कुमार मौके पर पहुंचे. उन्होंने स्थिति का जायजा लिया.
क्या कहते हैं अधिकारी
'बहुत ही बड़ी आपदा है. लाशें गंगा जी के किनारे लगी हुई हैं. इसलिए एक अनुमान लगाया जा रहा है कि लाशें बह कर आ रही हैं. ग्रामीणों ने बताया है कि उत्तर प्रदेश के बीरपुर और बारे गांव के किनारे-किनारे 500 लाशें लगी हुई हैं. यह आंकड़ा 100-200 भी हो सकता है. यहां जो लाशें हैं, वह भी बह कर आ कर लगी हैं. चूंकि यहां के घाट की जो बनावट है, वह थोड़ी अलग है. महदेवा घाट से लेकर श्मशान घाट के पास कोई भी चीज यहां बहकर आती है, तो यहां आ कर लग जाती है. अभी तक 50 के आसपास की लाशें यहां दिखाई दे रही हैं.' -अशोक कुमार, प्रखंड विकास पदाधिकारी
शवों का अंतिम संस्कार सम्मान के साथ : जिलाधिकारी
बक्सर के जिलाधिकारी अमन समीर ने इस प्रकरण पर कहा कि घाट पर लाशें मिलने के बाद अधिकारियों ने घटनास्थल का जायजा लिया. जिसमें ये पाया गया कि जल प्रवाह के माध्यम से चौसा घाट पर लाशें पहुंच गयी हैं. चूंकि यह घाट बक्सर और उत्तर प्रदेश का बॉर्डर है. इस लिहाज से भी अंचलाधिकारी ने मामले की पड़ताल की. जिसमें ये पाया गया कि बक्सर की लाशें तो घाट पर जलाई जा रही है. वहीं यहां मिलने वाली लाशें जलप्रवाह के माध्यम से बहकर आयी हैं. आज सुबह में करीब 30 की संख्या में लाशें बहकर चौसा घाट पहुंची हैं. यथासंभव सम्मान के साथ शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है.
बक्सर के जिलाधिकारी अमन समीर की प्रतिक्रिया शव कहां से आ रहे जांच का विषय : एसडीओ बक्सर
बक्सर के एसडीओ केके उपाध्याय ने कहा 'गंगा में दिखाई देने वाली 10-12 लाशें दूर से आईं हैं, ऐसा लगता है कि ये लाशें पिछले 5-7 दिनों से उतरा रही थीं. हमारे पास नदियों में शवों को विसर्जित करने की परंपरा नहीं है. हम इन लाशों का अंतिम संस्कार करने की व्यवस्था कर रहे हैं.'
उन्होंने कहा कि 'यह पता लगाना जांच का विषय है कि क्या ये लाशें वाराणसी, इलाहाबाद या किसी अन्य जगह से आती हैं. हम घाट क्षेत्रों के पास अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए सचेत कर रहे हैं कि यह दोबारा न हो.'
जांच के बाद होगा खुलासा : भाजपा प्रवक्ता
भाजपा प्रवक्ता विनोद शर्मा की प्रतिक्रिया भाजपा प्रवक्ता विनोद शर्मा ने कहा है कि बक्सर मामले को सरकार ने गंभीरता से लिया है. सरकार और जिला प्रशासन पूरे मामले को देख रहा है कि किन परिस्थितियों में लाश गंगा नदी के किनारे पहुंची हैं. उन्होंने कहा कि जांच के बाद रहस्य से पर्दा उठ जाएगा.
कोविड-19 से इसे जोड़ना सही नहीं : जदयू नेता
जदयू के वरिष्ठ नेता डॉक्टर सुनील सिंह की प्रतिक्रिया जदयू के वरिष्ठ नेता डॉ. सुनील सिंह का कहना है कि अधिकारी पूरे मामले की जांच पड़ताल कर रहे हैं कि आखिर लाशें कहां से आईं हैं. जदयू नेता के अनुसार, कोविड-19 से इसे जोड़ना सही नहीं है क्योंकि कोविड-19 वाले लाशों का सरकार अंतिम संस्कार कराती है. फिलहाल प्रशासन पूरे मामले की जांच कर रहा है. जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है.
दोषी अधिकारियों को सजा देना चाहिए : पप्पू यादव
पप्पू यादव बोले, हालात के जिम्मेदार कौन जन अधिकार पार्टी सुप्रीमो पप्पू यादव ने कहा कि 'इस संक्रमण के समय में इस तरह की तस्वीरें लोगों को विचलित कर देती हैं. जल्द से जल्द जिला प्रशासन को इस पूरे मामले की जांच करनी चाहिए और मामले में दोषी अधिकारियों को जल्द से जल्द सजा देना चाहिए.'
उन्होंने कहा कि 'घाटों पर व्यवस्था नहीं होने के कारण परिजनों ने मरीजों के शव को गंगा नदी में फेंक दिया है. सरकार को जल्द से जल्द इस पूरे मामले की जांच कराकर इस मामले में दोषी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को बर्खास्त करना चाहिए.'
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गौरतलब है कि नमामि गंगे योजना के तहत भारत सरकार के द्वारा छह वर्षों में अरबों रुपये गंगा की स्वच्छता पर खर्च किए गए हैं. अगर थोड़ी से राशि खर्च कर गंगा किनारे शवदाह की व्यवस्था की गई होती तो आज इस तरह की नौबत नहीं आती.