पटना : बिहार में जहां कोरोना ने कहर बरपा रखा है, वहीं राजधानी पटना से एक राहत भरी खबर है. यहां 7 माह की मासूम बच्ची ने हंसते-हंसते कोरोना को मात दे दी. पटना एम्स के डॉक्टर अमृत राज शर्मा की 7 माह की बेटी अवंतिका ने कोरोना को हरा दिया. वायरस ने पकड़ तो मजबूत बनाई थी, लेकिन मासूम ने बड़ी आसानी से उसे पटखनी दे दी. मासूम बुखार में भी हंसती रही.
7 माह की मासूम कोरोना फाइटर
दरअसल, एम्स में मरीजोंको देखने के दौरान डॉक्टर शर्मा पॉजिटिव हुए थे. इसी दौरान मासूम अवंतिका को भी कोरोना हो गया था. अवंतिका की पॉजिटिव रिपोर्ट को निगेटिव करने के लिए अवंतिका की मां ने दिन रात एक कर दिया. अवंतिका का सवा 2 साल का भाई शिवांश भी गंभीर बीमार हुआ था, लेकिन वो भी देखते ही देखते ठीक हो गया. डॉ.अमृत राज शर्मा एम्स के ईएनटी विभाग में सीनियर रेजिडेंट हैं. डॉ. अमृत की पत्नी अनामिका पीएनबी में हैं.
7 माह की मासूम कोरोना फाइटर कोरोना की जकड़ में था पूरा परिवार
अवंतिका के जन्म के लिए ली गई मैटरनिटी लीव के दौरान ही ये सब हो गया. डॉक्टर अमृत कोरोना काल में भी मरीजों की सेवा कर रहे हैं. घर में 7 माह की मासूम अवंतिका और सवा दो साल का बेटा शिवांश है. बच्चों की देखभाल के लिए एक मेड और एक रिश्तेदार की बेटी भी साथ में परिवार की तरह रहती हैं. डॉ. अमृत राज ने बताया कि काफी सावधानी से रहने के बावजूद ईएनटी विभाग में क्लोज कॉन्टैक्ट से मरीजों का इलाज करने के दौरान वो कोरोना संक्रमित हो गए थे.
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डॉ. अृमत राज ने बताया कि 8 अप्रैल को उन्हें बुखार आया, जिसके बाद वह घर में ही क्वारेंटाइन हो गए. 9 अप्रैल को टेस्ट की रिपोर्ट निगेटिव आई, लेकिन 10 अप्रैल को लक्षण आ गए. सर्दी के साथ खांसी आने लगी. पत्नी अनामिका को भी लक्षण दिख गए. वो भी क्वारेंटाइन हो गईं. 7 महीने की बच्ची को 24 घंटे तक मां से अलग रखा, ताकि वो संक्रमित नहीं हो. दूर रहने के बावजूद 7 माह की बेटी को खांसी-बुखार हो गया. मां से अलग रह रही बेटी भी कोरोना पॉजिटिव हो गई और फिर बेटा शिवांश भी गंभीर हो गया.
कोरोना के खिलाफ परिवार ने जीती जंग
डॉ. अमृत राज ने बताया कि तकलीफ तो तब हुई जब उन्हें एम्स में प्राइवेट रूम नहीं दिया गया. जनरल वार्ड में आइसोलेशन के लिए रखा जा रहा था. वो मायूस होकर बच्चे का इलाज कराकर घर आ गए. पूरा परिवार पॉजिटिव था और इस पर संस्थान में रूम नहीं मिलना बड़ा तनाव था. इसके बाद ईएनटी विभाग की एचओडी डॉ. कांति भावन की कोशिश से उन्हें प्राइवेट रूम मिल गया, तो डॉ. अमृत अपनी पत्नी और दोनों बच्चों के साथ भर्ती हो गए.
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मासूम बच्ची ने वायरस को दी पटखनी
उन्होंने बताया कि वैक्सीन की दोनों डोज लेने के कारण उन पर वायरस का ज्यादा असर नहीं हुआ. लेकिन 7 महीने की बेटी ने तो वैक्सीन वालों से भी तेजी से वायरस को फाइट दी. बच्ची को लेकर पूरा परिवार काफी डरा हुआ था, लेकिन बुखार और कोविड के पूरे लक्षण होने के बाद भी उसका हंसना एक दिन भी बंद नहीं हुआ. जब वो मां के पास सीने से लिपटी रहती थी, तो मां को भी जल्द ठीक होने की हिम्मत मिलती गई. मासूम को देखकर ही पूरा परिवार तेजी से वायरस से फाइट करता रहा.
'कोरोना से डरने की जरूरत नहीं'
डॉ. अमृत कहते हैं कि अगर घर में जच्चा-बच्चा पॉजिटिव हो और बच्चे को मां की फीडिंग की जरूरत पड़ती हो तो दोनों को साथ रखें. दोनों में तेजी से सुधार होगा. उनके घर में सभी सदस्यों में से 7 माह की बेटी ने सबसे पहले कोविड को मात दी. इसके पीछे बड़ा संदेश यही है कि उसे कोई डर नहीं था, वो कोरोना के बारे में अनजान थी. इसी तरह किसी को भी कोरोना से डरना नहीं है, बस हिम्मत से गाइडलाइन का पालन करते हुए वायरस को मात देना है.