वाराणसी:डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पूरे देश में आज शिक्षक दिवस के रूप में मनाई जाती है. इसको लेकर आज हम आपको ऐसे मित्रों की टोली बारे में बताएगें जो समाज के भविष्य काे नई राेशनी दे रहे हैं. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व और वर्तमान छात्र अन्य विश्वविद्यालयों के छात्रों के साथ मिलकर अपनी पॉकेट मनी से देश के भविष्य को संवारने का कार्य कर रहे हैं.
मजदूरी करने वाले हाथ में दी किताब और कलम
सात मित्रों का यह समूह अपनी पाठशाला बनाकर करसड़ा के मलिन बस्ती और करौंदी में गरीब बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं. इस टोली ने साल 2017 से यह कार्य प्रारंभ किया और बनवासी क्षेत्र के बच्चे जो मजदूरी करने को मजबूर थे. उनके हाथों में कलम और कॉपी दी है. साथ ही प्राथमिक विद्यालय में उनका नाम दर्ज कराया. शिक्षकों की टोली लगभग 40 बच्चों को शिक्षा देने का काम कर रही हैं.
यह है पढ़ाने का ट्रिक :इनका पढ़ाने का भी तरीका थोड़ा अलग है. दरअसल, अपनी पाठशाला के सदस्य अलग-अलग विषय पढ़ाते हैं. अंग्रेजी, हिंदी के साथ ही कंप्यूटर और खेलकूद के बारे में भी बताते हैं.
यही नहीं पहले बच्चों को पढ़ाते हैं फिर उन्हीं में से किसी एक बच्चे को तैयार करते हैं, जिसके बाद बच्चा फिर अपने क्लास के लोगों को पढ़ाता है. इस तरह बच्चे खेल-खेल में पढ़ते भी हैं और एक दूसरे के प्रति उनका लगाव भी बढ़ता है.
'मैं अकेला ही चला था जानिब-ए- मंजिले मगर लोग आते गए और कारवां बनता गया'
यह लाइनें बीरभद्र सिंह पर सटीक बैठती हैं. गरीब परिवार होने के कारण मदद से पढ़े वीर ने अब अपने दोस्तों संग निर्धन बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया है. इनके साथ विनीत सिंह, रश्मि सिंह, परेश सिंह, रुद्र सिंह, शुभम मिश्रा, अभिषेक कृष्णा प्रमुख है. इन लोगों के साथ प्रिया राय और धर्मेंद्र भी सहयोग कर रहे हैं.
काशी हिंदू विश्वविद्यालय और महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के छात्र अपनी पाठशाला में मौजूद हैं. जिसमें कुछ लोग तो सिविल की तैयारी कर रहे हैं और घरों में जाकर ट्यूशन भी पढ़ाते हैं. इस पैसों से वह छात्रों को शिक्षा दे रहे हैं. उसके साथी कुछ ऐसे मित्र भी हैं जो सरकारी नौकरी में है, वह भी इनकी मदद करते हैं. बाकी जल्द ही एनजीओ बनाकर अपने कार्य को और आगे बढ़ाना चाहते हैं.