नई दिल्ली : अलग से कृषि बजट पेश करने पर मोदी सरकार (separate annual budget for agriculture) ने संसद में जवाब दिया है. वरिष्ठ लोक सभा सांसद टीआर बालू के एक सवाल पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आम बजट में केंद्र सरकार पर्याप्त प्रावधान करती है, ऐसे में केवल नाम बदलने के कोई मायने नहीं हैं. तोमर ने कहा, 'मोदी सरकार किसानों और किसानी के प्रति प्रतिबद्ध है. अलग बजट नहीं भी लाया जाए तो भी कृषि क्षेत्र के लिए कोई कमी नहीं आने दी जाएगी.'
अलग से कृषि बजट पेश करने पर मोदी सरकार का जवाब केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अलग से कृषि बजट लाने के एक सांसद के सुझाव को खारिज करते हुए मंगलवार को कहा कि मोदी सरकार देश के किसानों और खेती के लिए प्रतिबद्ध है और अलग कृषि बजट नहीं भी लाया जाए तो भी खेती-किसानी के लिए कोई कमी नहीं रहने दी जाएगी.
छह वर्ष पहले केंद्र सरकार ने रेल बजट को आम बजट के साथ मिलाया (सूचना श्रोत- पीआईबी) लोकसभा में द्रमुक नेता टी आर बालू ने तमिलनाडु सरकार द्वारा अलग से कृषि बजट पेश किये जाने का उल्लेख करते हुए प्रश्नकाल में कहा कि केंद्र सरकार को भी अलग से कृषि क्षेत्र के लिए बजट प्रस्तुत करना चाहिए जिससे देश में किसानों की समस्याएं कम होंगी.
कृषि मंत्री तोमर ने उत्तर देते हुए कहा कि स्वाभाविक रूप से यह सुझाव सभी को अच्छा लगने वाला है. उन्होंने कहा, 'लेकिन बजट एक हो या दो हों, उसकी दिशा होनी चाहिए, पर्याप्त प्रावधान होने चाहिए और उन्हें क्रियान्वित करने का जज्बा होना चाहिए.' उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आने से पहले देश के लिए रेल बजट अलग आता था. उन्होंने कहा कि लेकिन इस सरकार ने सुधार किया जिससे समय बचा.
तोमर ने कहा कि अगर हम मोदी सरकार से पहले के लगभग 60 वर्षों और इन सात वर्षों का विश्लेषण करके देखें तो रेलवे की योजनाओं के क्रियान्वयन में जमीन-आसमान का अंतर दिखाई देगा.' उन्होंने कहा कि किसी क्षेत्र के लिए अलग बजट में मूल बजट से अतिरिक्त राशि हो तो उसे अलग करने की जरूरत है, लेकिन यदि सामान्य बजट में जो प्रावधान है, उसी को काटकर अलग से नाम कृषि बजट करने से न देश को फायदा होगा, न किसान को.
छह साल पहले रेल बजट मर्ज हुआ
बता दें कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने पहले अलग से पेश किए जाने वाले रेल बजट का विलय आम बजट में कर दिया था. नवंबर, 2016 में केंद्र सरकार की ओर से जारी विज्ञप्ति में बताया गया था कि वित्त वर्ष 2017-18 से रेल बजट अलग से पेश नहीं किया जाएगा. रेल बजट को केंद्रीय बजट में विलय (merger of Railway Budget with General Budget) करने का निर्णय नीति आयोग के सदस्य विवेक देबरॉय (Bibek Debroy NITI Aayog Member) की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों के आधार पर लिया गया था. विवेक देबरॉय ने किशोर देसाई के साथ संयुक्त रूप से 'रेल बजट के साथ वितरण' (Dispensing with the Railway Budget) टाइटल के साथ एक अलग पेपर पेश किया था. रेल बजट मर्ज करने के संबंध में वित्त मंत्रालय और रेल मंत्रालय के प्रतिनिधियों वाली समिति ने मुद्दों की पड़ताल कर प्रक्रियात्मक विवरण तैयार किया था.
रेल बजट में वित्त मंत्रालय की भूमिका
सरकार ने कहा था, रेल मंत्रालय विभागीय रूप से संचालित वाणिज्यिक उपक्रम के रूप में कार्य करना जारी रखेगा. रेल मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया था, रेलवे के लिए बजट अनुमानों और अनुदान की मांग का एक अलग विवरण तैयार किया जाएगा. बजट विलय करने के संबंध में रेल मंत्रालय ने कहा था, अनुमानों सहित एक एकल विनियोग विधेयक (Appropriation Bill including Railways estimates) तैयार किया जाएगा और वित्त मंत्रालय इसे संसद में प्रस्तुत करेगी. बयान में कहा गया था कि रेल बजट से जुड़े सभी विधायी कार्य वित्त मंत्रालय द्वारा नियंत्रित किए जाएंगे. सरकार ने अपने बयान में कहा था कि रेल बजट के संबंध में वित्त मंत्रालय अपने पूंजीगत व्यय के हिस्से को पूरा करने के लिए रेल मंत्रालय को सकल बजटीय सहायता प्रदान करेगा.
टेस्ला पर कांग्रेस का सवाल
संसद में बजट सत्र के सातवें दिन लोक सभा में कृषि मंत्रालय के अलावा इंडस्ट्री से जुड़े सवाल भी पूछे गए. टेस्ला के भारत में कारोबार (tesla in india) करने पर कांग्रेस सांसद सुरेश कोडिकुन्नील ने सवाल पूछा. संसद में मोदी सरकार से पूछे गए इस सवाल पर केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल ने दो टूक लहजे में कहा कि मोदी सरकार की नीतियों के तहत अगर कोई कंपनी भारत के बाजार का प्रयोग करना चाहती है, तो स्थानीय लोगों को रोजगार भी देना होगा. ऐसा नहीं चलेगा कि सेंटर भारत में हो और रोजगार चीन को दिया जाए.
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केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल ने बताया कि ई-व्हीकल के संबंध में गोवा में राउंड टेबल वार्ता हुई थी, जिसमें वे खुद मौजूद थे. प्रमुख उद्योग प्रतिनिधियों की मौजूदगी में इस मौके पर सबने एक स्वर में कहा, सरकार को जो करना था, किया जा चुका है; अब करने की बारी उद्योगों की है. केंद्रीय राज्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि मोदी सरकार की नीति स्पष्ट है कि अगर भारत में केंद्र स्थापित कर कारोबार करना है तो यहां के लोगों को रोजगार भी देना होगा.
(इनपुट- पीटीआई-भाषा)