हैदराबाद: बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) यानि बॉम्बे शेयर मार्किट ने शुक्रवार को इतिहास रचते हुए शुक्रवार को पहली बार 60,000 अंक के पार पहुंच गया. वहीं निफ्टी भी 17850 के पार पहुंच गया. बाजार गुलजार है तो निवेशकों ने मुनाफा भी बनाया है. लेकिन बाजार की खरगोश से तेज चाल अब डरा भी रही है लोगों को कन्फ्यूज भी कर रही है. दरअसल 60 हजार पहुंचे सेंसेक्स ने कई रिकॉर्ड बनाए हैं. ऐसे में आगे क्या करें ? बाजार अब कैसे रिएक्ट करेगा ? इस तरह के सवाल लाजमी है, जिनका जवाब आपको हम देंगे.
31 साल में 1000 से 60,000 अंक
सेसेंक्स ने 50,000 से 60,000 तक पहुंचने के लिए महज 167 ट्रेडिंग सेशन का वक्त लिया. इस लिहाज से बाजार ने इतिहास में अब तक सबसे तेज 10 हजार अंक का आंकड़ा पार किया है. इससे पहले सेंसेक्स ने 10,000 अंक पार करने के लिए औसतन 931 सेशन लगाए थे. गौरतलब है कि पहली बार 10,000 अंक छूने में सेंसेक्स को 20 साल का वक्त लग गया था.
31 साल में ऐसे बढ़ा सेंसेक्स 25 जुलाई 1990 को सेंसेक्स पहली बार हजार अंक के स्तर पर पहुंचा. उसके बाद कई उतार चढ़ाव को देखते हुए करीब 31 साल बाद 24 सितंबर 2021 को भारतीय बाजार अब तक के सबसे अधिक 60,000 अंक तक पहुंच गया.
क्या है इस उछाल की वजह ?
सेंसेक्स के 50 हजार से 60 हजारी बनने में अलग-अलग क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों की भूमिका रही. बजाज फिनसर्व से लेकर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और टेक महिन्द्रा से लेकर टाटा स्टील और बजाज फाइनेंस तक के शेयरों में तेजी आई. लेकिन इसमें सबसे बड़ा योगदान इंफोसिस, रिलायंस इंडस्ट्रीज, आईसीआईसीआई बैंक और भारती एयरटेल का रहा है.
वैसे इन दिनों विदेशी संस्थागत निवेशक (Foreign institutional investors) और घरेलू संस्थागत निवेशक बाजार (domestic institutional investor) भी जमकर बाजार में पैसा लगा रहे हैं जिससे ये तेजी आई है. जानकार मानते हैं कि अगर यही रफ्तार बनी रही तो अगले साल जून तक सेंसेक्स 70,000 का आंकड़ा भी छू लेगा. लेकिन कुछ जानकार मानते हैं कि कुछ जोखिम बाजार की रफ्तार पर लगाम लगा सकते हैं.
सेंसेक्स के 60 हजार पहुंचने का जश्न मना रहा है बाजार दरअसल अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने साफ कर दिया है कि वह 2022 के मध्य से पहले इंट्रेस्ट रेट में बढ़ोतरी नहीं करेगा. हालांकि नवंबर 2021 से इसमें कमी की जा सकती है. वर्तमान में अमेरिकी फेडरल रिजर्व हर महीने 120 बिलियन डॉलर का बॉन्ड खरीदता है और अर्थव्यवस्था को लिक्विडिटी की मदद से पंप कर रहा है. नवंबर से इसमें कटौती की जा सकती है.
बीएसई के मुख्य कार्यपालक अधिकारी और प्रबंध निदेशक आशीष कुमार चौहान ने कहा, 'सेंसेक्स आज 60,000 अंक पर पहुंच गया. यह भारत की वृद्धि की संभावना को दर्शाता है. साथ ही जिस तरीके से भारत कोविड अवधि के दौरान एक विश्व नेता के रूप उभरा है, उसे भी अभिव्यक्त करता है... इसके अलावा दुनियाभर में सरकारों ने अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रा प्रसार किया और वित्तीय नीतियों को उदार बनाया, उससे भी शेयर बाजारों में गतिविधियां बढ़ी हैं.'
अब क्या करें निवेशक ?
इस साल सेंसेक्स 25 फीसदी से ज्यादा चढ़ा है और महज 245 दिन में 10 हजार अंक जोड़कर 50 हजार से रिकॉर्ड 60 हजार के स्तर को पार कर गया है. बाजार की रफ्तार हमेशा डराती है और इस बार से रफ्तार इतनी तेज है कि डरना लाजमी है.
कुछ जानकार मानते हैं कि बैंकिंग समेत कई सेक्टर्स की तेजी अभी छोटे निवेशकों को लुभा सकती है. बीएसई आने वाले दिनों 65 हजार और निफ्टी 20 हजार तक भी पहुंच सकता है लेकिन जब बाजार इस रफ्तार से बढ़ रहा हो तो खरीदारी से बचें, ऐसे में निवेशकों को SIP की सलाह देते हैं.
निवेशकों को डरा रही है सेंसेक्स की रफ्तार एक्सपर्ट मानते हैं कि बाजार में छोटे निवेशकों का रोल तेजी से बढ़ रहा है. BSE पर निवेशक खातों की संख्या 8 करोड़ के पार पहुंच गई है. जो करीब डेढ साल पहले तकरीबन 5 करोड़ थी. बाजार में टिके रहने यानि लंबी अवधि के निवेशकों के लिए डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन आंख बंद करके निवेश करने वाले और शॉर्ट टर्म यानि थोड़े वक्त के लिए पैसे लगाना आपको कभी भारी मुनाफा तो कभी भारी नुकसान पहुंचा सकता है.
कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस वक्त थोड़ा डिफेंसिव होना भविष्य में फायदे का सौदा साबित हो सकता है. शेयर बाजार में आई अच्छी खासी तेजी कई छोटे निवेशकों को लुभा रही है, इस तरह की तेजी में मुनाफे के फेर में आकर लोग अपनी बचत बाजार में लगा तो देते हैं लेकिन जब गुब्बारा फूटता है तो बाजार कई लोगों की बचत और पूंजी को निगल चुका होता है. इसलिये डिफेंसिव रहें और सोच समझकर उन सेक्टर्स में निवेश करें जो लंबे वक्त में आपको अच्छा मुनाफा दें. चार दिन की चांदनी के फेर में बिल्कुल ना पड़ें.
अब चढ़ेगा या गिरेगा सेंसेक्स ?
कोविड-19 के दौर में मार्किट का इस तरह का रिस्पाॉन्स कई लोगों को उत्साहित कर रहा है. कुछ जानकार इसके लिए अर्थव्यवस्था में मुद्रा प्रसार और सरकार की उदार वित्तीय नीतियों को वजह मानते हैं. कोटक सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा, 'बाजार में तेजी को सामान्य रूप से घरेलू संस्थागत निवेशकों से समर्थन मिला. लेकिन अब विदेशी संस्थागत निवेशक भी बाजार को आगे बढ़ा रहे हैं.' उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में कंपनियों के तिमाही परिणाम भी बाजार को गति देंगे.
रिकॉर्डतोड़ 60 हजार अंकों के पार पहुंचा सेंसेक्स कुछ जानकार मानते हैं कि कोरोना संक्रमण के दौर से उबरने का असर बाजार पर नजर आ रहा है. बीते दिनों आए जीडीपी के आंकड़े भी बता रहे हैं कि ज्यादातर क्षेत्र पटरी पर लौट रहे हैं.बाजार में अब घरेलू निवेशकों के साथ अब विदेशी संस्थागत निवेशक भी बाजार को आगे बढ़ा रहे हैं और आने वाले दिनों में कंपनियों के इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही के परिणाम भी इस रफ्तार को बनाए रख सकते हैं.
बाजार के कुछ जानकार इस तेजी के बरकरार रहने की उम्मीद लगा रहे हैं. उनके मुताबिक अगले 2 से 3 साल तक ये तेजी बरकरार रहेगी और जल्द ही बाजार लखपति यानि एक लाख के आंकड़े को भी छू सकता है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में आर्थिक रिकवरी को देखते हुए आरबीआई लिक्विडिटी सपोर्ट की रफ्तार को कम कर सकता है जिसका असर बाजार पर नजर आएगा. कुछ जानकार मानते हैं कि त्योहारी सीजन खासकर अक्टूबर में मुनाफे की चाहत में बिकवाली का दौर आ सकता है और फिर बाजार में गिरावट देखी जा सकती है.
ये भी पढ़ें: बीएसई का मार्केट कैप 3.54 ट्रिलियन डॉलर, अभी तो और बनेंगे शेयर बाजार में रिकॉर्ड ?