वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री अभय छजलानी नहीं रहे, पत्रकारिता के साथ राजनैतिक-सामाजिक जगत में शोक की लहर
वरिष्ठ पत्रकार और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित अभय छजलानी का गुरुवार सुबह निधन हो गया. 88 वर्षीय छजलानी लंबे समय से अस्वस्थ थे. उनके निधन से पत्रकार जगत ही नहीं, राजनैतिक और सामाजिक हलकों में भी शोक की लहर है.
वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री अभय छजलानी नहीं रहे
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Published : Mar 23, 2023, 7:33 PM IST
इंदौर।पत्रकारिता जगत का बड़ा नाम अभय छजलानी अब हमारे बीच नहीं हैं. उन्होंने गुरुवार सुबह अंतिम सांस ली. इंदौर के रीजनल पार्क मुक्तिधाम में शाम करीब 5 बजे उन्हें अंतिम विदाई दी गई. प्रदेश ही नहीं, देश की भी जानी-मानी हस्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. 4 अगस्त 1934 को इंदौर में जन्मे अभय छजलानी ने 1955 में अपने पिता की विरासत संभालकर पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रवेश किया था. उन्होंने 1965 में पत्रकारिता के विश्व प्रमुख संस्थान थॉमसन फाउंडेशन कार्डिफ, यूके से स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी.
पद्मश्री छजलानी का निधन
ढह गया पत्रकारिता का स्तंभ:अभय हिंदी दैनिक अखबार नई दुनिया के संपादकीय बोर्ड के अध्यक्ष रहे. उन्हें पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान के लिए वर्ष 2009 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था. स्वभाव से शालीन, सौम्य और हंसमुख अभय का जाना पत्रकारिता का एक स्तंभ ढहने के बराबर है. उन्होंने कई दशकों तक नई दुनिया के माध्यम से हिन्दी पत्रकारिता की कोंपलों को बहुत करीने से सहेजकर पल्लवित होने में मदद की. वे पत्रकार, समीक्षक, लेखक ही नहीं, कई विधाओं के धनी थे. वे 1988, 1989, 1994 में भारतीय भाषाई समाचार पत्रों के शीर्ष संगठन इलना के अध्यक्ष रह चुके थे. इसके अलावा इंडियन न्यूज पेपर सोसायटी (आइएनएस) के 2000 में उपाध्यक्ष और 2002 में अध्यक्ष भी रहे.
वरिष्ठ पत्रकार छजलानी नहीं रहे
पत्रकारिता जगत की अपूरणीय क्षति:छजलानी के निधन पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर कहा, 'वरिष्ठ पत्रकार, पद्मश्री अभय छजलानी जी के निधन का दुखद समाचार प्राप्त हुआ. आपका अवसान पत्रकारिता जगत की अपूरणीय क्षति है. ईश्वर से दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान और परिजनों को यह गहन दु:ख सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना करता हूं.' वहीं,केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्वीट किया, 'मेरे परिवार समान पद्मश्री से अलंकृत मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार श्री अभय छजलानी के निधन के समाचार से स्तब्ध हूं. भगवान उन्हें वैकुण्ठ धाम में स्थान दे और उनके परिजनों और प्रशंसकों को इस आघात को सहने की शक्ति प्रदान करें. मेरी संवेदनाएं हैं.' पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट में कहा, 'पत्रकारिता जगत की विशिष्ट पहचान पद्मश्री अभय छजलानी जी के निधन का दुखद समाचार प्राप्त हुआ है. मैं दिवंगत आत्मा की शांति एवं परिजनों को यह असीम दुख सहने की शक्ति देने की प्रार्थना करता हूं. हिन्दी पत्रकारिता के आधारस्तंभ छजलानी जी हमेशा हमारे दिलों में रहेंगे.' वहीं, दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर कहा, 'पत्रकारिता के कीर्ति स्तंभ रहे अभय छजलानी जी नहीं रहे. इंदौर के मित्रों से यह जानकारी मिली. मैं एक निजी मित्र के रूप में उनसे लंबे अरसे से जुड़ा रहा. पत्रकारिता के अलावा वे प्रखर सामाजिक-राजनीतिक सक्रियता के लिए भी हमेशा याद किए जाएंगे. ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें.'
इतनी उपलब्धियां उनके नाम:साल 1955 में पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद छजलानी ने 1963 में नई दुनिया के कार्यकारी संपादक का कार्यभार संभाला. वे लंबे अरसे तक नई दुनिया के प्रधान संपादक रहे. 1965 में उन्होंने पत्रकारिता के विश्व प्रमुख संस्थान थॉमसन फाउंडेशन, कार्डिफ, यूके से स्नातक की उपाधि प्राप्त की. हिन्दी पत्रकारिता के क्षेत्र से इस प्रशिक्षण के लिए चुने जाने वाले वे पहले पत्रकार थे. अभय को श्रेष्ठतम पत्रकारिता के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया था. वे भारतीय भाषाई समाचार पत्रों के शीर्ष संगठन इलना के 1988, 1989 और 1994 में संगठन के अध्यक्ष रहे. इंडियन न्यूज पेपर सोसायटी (आईएनएस) के 2000 में उपाध्यक्ष और 2002 में अध्यक्ष रहे. वे 2004 में भारतीय प्रेस परिषद के लिए मनोनीत किए गए थे, उनका कार्यकाल 3 वर्ष का था. उन्हें 1986 का पहला श्रीकांत वर्मा राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया. छजलानी 1995 में मध्यप्रदेश क्रीड़ा परिषद के अध्यक्ष बने थे. पत्रकारिता में विशेष योगदान के लिए उन्हें वर्ष 1997 में जायन्ट्स इंटरनेशनल पुरस्कार तथा इंदिरा गांधी प्रियदर्शिनी पुरस्कार प्रदान किया गया था. छजलानी को इंदौर में इंडोर स्टेडियम अभय प्रशाल स्थापित करने के लिए भोपाल के माधवराव सप्रे समाचार पत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान ने सम्मानित किया गया था. उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय योगदान के लिए ऑल इंडिया एचीवर्स कॉन्फ्रेंस ने दिल्ली में 1998 में राष्ट्रीय गौरव पुरस्कार दिया था.