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पत्रकारों के डिवाइस जब्त करना गंभीर मामला: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से दिशानिर्देश लाने को कहा

By PTI

Published : Nov 7, 2023, 6:38 PM IST

3 अक्टूबर को ऑनलाइन समाचार पोर्टल न्यूजक्लिक से जुड़े 46 पत्रकारों, संपादकों के घरों पर दिल्ली पुलिस ने छापेमारी की थी. कुछ पत्रकारों के डिवाइस जब्त किए गए थे. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में चिंता जताई है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से दिशानिर्देश लाने को कहा है. Supreme Court, SC asks Centre, Seizure of journalists devices serious matter.

sc asks centre to bring in guidelines
सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) ने मंगलवार को पत्रकारों के डिजिटल उपकरणों की जब्ती पर गंभीर चिंता व्यक्त की और केंद्र से जांच एजेंसियों की शक्तियों को नियंत्रित करने के लिए बेहतर दिशानिर्देश लाने को कहा.

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल्स की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. जनहित याचिका में शीर्ष अदालत से कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अनुचित हस्तक्षेप के खिलाफ सुरक्षा उपाय लाने और डिजिटल उपकरणों की जब्ती के लिए दिशानिर्देश बनाने की अपील की गई.

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस.वी. राजू केंद्र की ओर से पेश हुए. राजू ने अदालत को बताया कि इस मामले में कई जटिल कानूनी मुद्दे शामिल हैं और पीठ से फिलहाल सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया. मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस कौल ने टिप्पणी की कि एजेंसियों के सर्व-शक्तिमान होने को स्वीकार करना बहुत मुश्किल है.

पीठ ने इसे बेहद खतरनाक स्थिति बताते हुए केंद्र को बेहतर दिशानिर्देश लाने का निर्देश दिया. यह याचिका 3 अक्टूबर को ऑनलाइन समाचार पोर्टल न्यूजक्लिक से जुड़े 46 पत्रकारों, संपादकों के घरों पर दिल्ली पुलिस की छापेमारी के मद्देनजर आई है. छापेमारी के बाद, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, डिजीपब न्यूज इंडिया फाउंडेशन और इंडियन वूमेन प्रेस कॉर्प्स सहित कई मीडिया संगठनों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ को एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने अक्टूबर में पत्रकारों के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की जब्ती पर दिशानिर्देश मांगे थे.

छापेमारी में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की विभिन्न धाराओं के तहत दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पत्र में कहा गया है, 'सच यह है कि आज, भारत में पत्रकारों का एक बड़ा वर्ग प्रतिशोध के खतरे के तहत काम कर रहा है. और यह जरूरी है कि न्यायपालिका सत्ता का सामना मौलिक सत्य से करे - कि एक संविधान है जिसके प्रति हम सभी जवाबदेह हैं.' अदालत 6 दिसंबर को सुनवाई फिर से शुरू करेगी.

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