दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

SC ON SECURUTY NEEDS : सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सुरक्षा बढ़ाने के नाम पर अदालतों को किले में नहीं बदला जा सकता - अदालतों को किले में नहीं बदला जा सकता

न्यायाधीशों, वादकारियों की सुरक्षा से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुरक्षा बढ़ाने के नाम पर अदालतों को किले में नहीं बदला जा सकता. शीर्ष कोर्ट ने कहा कि हम सभी राज्यों और केंद्र के संसाधनों पर दबाव नहीं डाल सकते (SC ON SECURUTY NEEDS).

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट

By

Published : Feb 25, 2023, 3:33 PM IST

नई दिल्ली :सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि सुरक्षा बढ़ाने के नाम पर अदालतों को किले में नहीं बदला जा सकता क्योंकि वे सार्वजनिक स्थान हैं और जनता को वहां जाने की जरूरत है (SC ON SECURUTY NEEDS).

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 'कृपया समझें कि अदालतें सार्वजनिक स्थान हैं. लेकिन आज हम कोर्ट को किला बना रहे हैं.' कोर्ट ने कहा कि अदालतों तक जनता की पहुंच और सुरक्षा को संतुलित करने की जरूरत है.

न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिनमें न्यायाधीशों, वादियों और न्यायपालिका में शामिल लोगों की सुरक्षा के लिए विशेष सुरक्षा उपायों को तैनात करने के निर्देश की मांग की गई थी.

जस्टिस भट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में एक नागरिक के लिए अदालत में आकर यह देखना बहुत मुश्किल है कि कार्यवाही कैसे चल रही है. लेकिन अन्य सभी अदालतों के मामले में ऐसा नहीं होना चाहिए और एक संतुलन होना चाहिए.

जस्टिस भट ने कहा कि 'आइए हम एक ऐसे समाधान पर पहुंचें जो संतुलित हो.' उन्होंने कहा कि प्राथमिकता के आधार पर जिन क्षेत्रों में सुरक्षा की जरूरत है, उनकी पहचान की जाए और उसके अनुसार कदम उठाए जाएं. उन्होंने एमिकस क्यूरी सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा से उन जिलों या क्षेत्रों की पहचान करने को कहा, जिन्हें सुरक्षा बढ़ाने की जरूरत है और समाधान सुझाएं. उन्होंने कहा कि राज्यों के संसाधन सीमित हैं और उन्हें अदालत के आवेगपूर्ण आदेश से प्रभावित नहीं होना चाहिए.

कोर्ट ने कहा कि 'हम सभी राज्यों और केंद्र के संसाधनों पर दबाव नहीं डाल सकते. समाज के ऐसे वर्ग हैं जिनके पास कोई सुरक्षा नहीं है. हमें इसे बहुत ही ध्यान से देखना होगा.'

कोर्ट ने कहा कि 'कुछ न्यायिक अधिकारी भी सामान्य परिवहन का प्रयोग कर रहे हैं. सभी न्यायाधीशों को शांतिपूर्ण क्षेत्रों में सुरक्षा की आवश्यकता नहीं होती है. जहां कुछ क्षेत्रों में बढ़ी हुई समस्याओं की प्रकृति के संबंध में न्यायालय परिसर के लिए सुरक्षा की आवश्यकता है, आइए हम उनकी पहचान करें.'

कोर्ट ने कहा कि वह यह नहीं मानेगा कि राज्य अपने कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहे हैं और इसके बजाय इस बारे में प्रतिक्रिया चाहता है कि कौन से क्षेत्र अधिक खतरे में हैं, अन्यथा यह 'एक आकार सभी स्थितियों में फिट बैठता है' पर पहुंचेगा. कोर्ट ने न्याय मित्र से उन सभी घटनाओं की विस्तृत सूची भी प्रस्तुत करने को कहा जिनमें न्यायाधीशों या वादकारियों पर हमला किया गया है. इस मामले की अगली सुनवाई 6 हफ्ते बाद फिर होगी.

पढ़ें- Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र में 'शिवसेना' को लेकर SC में सुनवाई 28 फरवरी को

ABOUT THE AUTHOR

...view details