नई दिल्ली : जब भी कोई भी व्यक्ति संसद भवन में दाखिल होना चाहता है, तो उसकी एक प्रक्रिया होती है. उसे पूरी करने के बाद ही कोई भी व्यक्ति संसद भवन में प्रवेश कर सकता है. आमतौर पर किसी भी विजिटर के लिए सांसद ही पास जारी करते हैं. लेकिन वह व्यक्ति जब संसद भवन में दाखिल होता है, तो वहां पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों की जवाबदेही होती है कि उसके पास कोई हथियार या घातक सामान न हो. बुधवार को जो घटना हुई, उसने यह साबित कर दिया है कि कहीं न कहीं पर खामियां जरूर हैं. सदन की सुरक्षा व्यवस्था में मुख्य रूप से चार लेयर होते हैं.
पहला घेरा दिल्ली पुलिस का होता है. संसद भवन का यह सबसे बाहरी घेरा होता है. इसे आउटर लेयर भी कहा जाता है. आप जैसे ही संसद भवन में प्रवेश करना चाहेंगे, तो सबसे पहली चेकिंग इनके द्वारा ही की जाती है.
दूसरा घेरा -दूसरे घेरे की जिम्मेदारी केंद्रीय सुरक्षा बलों की होती है. इनमें सीआरपीएफ, आईटीबीपी, एनएसजी वगैरह शामिल होते हैं. यहां पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल टीम स्वैट भी शामिल होती है. अगर संसद परिसर के भीतर कभी भी कोई अनहोनी हो जाए, तो उस व्यवस्था से निपटने के लिए ये हमेशा तैयार रहते हैं.
तीसरा घेरा पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप का होता है. इनका गठन 13 दिसंबर 2001 की घटना के बाद किया गया था. आतंकरोधी ऑपरेशन को यह अंजाम देने की स्थिति में होते हैं. इनके पास अपनी मेडिकल टीम और अपनी संचार व्यवस्था होती है. ऐसा कहा जाता है कि संसद परिसर के भीतर इनकी संख्या 1500 से ज्यादा है.
चौथा घेरा - पार्लियामेंट सिक्योरिटी सर्विस के जवानों से यह बना होता है. इनकी जवाबदेही संसद भवन के भीतर सुरक्षा व्यवस्था को देखने की होती है. यह सबसे अंदर की लेयर है. एक बार जब आप संसद भवन में दाखिल हो गए, तो आप पर नजर बनाए रखना इनकी जवाबदेही होती है. सांसदों से लेकर स्पीकर और सभापति की सुरक्षा व्यवस्था भी यही देखते हैं. सदन के भीतर मार्शल भी इन्हें ही रिपोर्ट करते हैं. जब पीएम आते हैं, तो यह एसपीजी से तालमेल बिठाकर उन्हें सुरक्षा व्यवस्था देते हैं.
कौन देखता है पूरी सुरक्षा व्यवस्था - संसद की सुरक्षा व्यवस्था को सुरक्षा विभाग के संयुक्त सचिव देखते हैं. उनके नीचे सुरक्षा के कई चक्र होते हैं, जिसमें दिल्ली पुलिस से लेकर केंद्रीय बलों की तैनाती की जाती है. इनके पास आधुनिकतम हथियार से लेकर नवीनतम तकनीक से युक्त मशीन उपलब्ध होते हैं.
आपने संसद भवन के बाहर देखा होगा कि रोड ब्लॉकर और टायर किलर्स का उपयोग किया जाता है. इसे एक रणनीति के रूप से रखा जाता है. हरेक लेवल पर इस तरह का एक चक्र होता है और उन्हें उस दायरे में सुरक्षा व्यवस्था को संभालना होता है.