नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में तैनात सुरक्षा एजेंसियों को एक रणनीतिक चुनौती का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन विध्वंसक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए स्थानीय युवाओं की भर्ती कर रहे हैं.इस बारे में एक सुरक्षा एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह वास्तव में हमारे लिए एक चुनौती है. उन्होंने कहा कि आतंकवादी संगठन अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने के लिए स्थानीय युवाओं की भर्ती कर रहे हैं इस वजह से अचानक घरेलू आतंकवाद में वृद्धि हुई है.
स्थानीय युवाओं की भर्ती के लिए आतंकवादी संगठनों के तौर-तरीकों के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा कि धार्मिक शिक्षकों के द्वारा बड़े पैमाने पर कट्टरपंथ और प्रेरणा के बाद युवाओं की भर्ती की जाती है. सुरक्षा एजेंसियों के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, 2018 में आतंकवादी संगठनों द्वारा 187 स्थानीय युवाओं की भर्ती की गई थी. इसके बाद 2019 में 121, 2020 में 181, 2021 में 142 और 2022 में 28 युवाओं की भर्ती की गई थी.
अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा एजेंसियों के साथ मुठभेड़ में मारे जा रहे आतंकवाद विरोधी अभियानों में स्थानीय आतंकवादी अधिक मारे जा रहे हैं. नई दिल्ली में ईटीवी भारत के सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, पिछले दो वर्षों में घरेलू आतंकवाद में 60 प्रतिशत तक तेजी से वृद्धि हुई है. आंकड़ों के मुताबिक पिछले एक साल में मारे गए 71 आतंकियों में 19 विदेशी और 52 स्थानीय थे. वहीं वर्तमान में, 163 सक्रिय स्थानीय और साथ ही विदेशी आतंकवादी हैं.