नई दिल्ली : आंध्र प्रदेश सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से कहा कि तेदेपा प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू (TDP chief N Chandrababu Naidu) का भ्रष्टाचार के मामले में जांच से पहले पूर्वानुमति को अनिवार्य करने वाले प्रावधान के तहत सुरक्षा का दावा अस्वीकार्य है, क्योंकि यह कोई ऐसी छतरी नहीं है, जिसके नीचे भ्रष्ट लोग छिप सकें, बल्कि इसका उद्देश्य ईमानदार अधिकारियों की रक्षा करना है. धारा 17ए 26 जुलाई, 2018 से एक संशोधन द्वारा लाई गई थी. संबंधित प्रावधान किसी पुलिस अधिकारी के लिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत किसी लोकसेवक द्वारा किए गए कथित अपराध की जांच के वास्ते सक्षम प्राधिकारी से पूर्व मंजूरी लेने की अनिवार्य आवश्यकता निर्धारित करता है.
न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस (Justice Aniruddha Bose) और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी (Justice Bela M Trivedi) की पीठ को आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने बताया कि कौशल विकास निगम घोटाला मामले में गिरफ्तार तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के नेता एन चंद्रबाबू नायडू के निणर्यों और कार्यों के चलते भारी भ्रष्टाचार हुआ और राजकोष को नुकसान पहुंचा.
रोहतगी ने कहा, 'भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए कोई ऐसी छतरी नहीं है, जहां भ्रष्टाचारी छिप सकें, बल्कि इसका उद्देश्य ईमानदार अधिकारियों की रक्षा करना है, जो अपने आधिकारिक कर्तव्य के निर्वहन में निर्णय लेने से डरते हैं. अधिनियम भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए कोई बाधा उत्पन्न नहीं करता है. यह भ्रष्टाचार को खत्म करने और ईमानदार अधिकारियों की रक्षा करने का संसद का प्रयास है.'