हैदराबाद :काेराेना की पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर के दाैरान अधिक आर्थिक वृद्धि दर्ज की गई है. माना जा रहा है कि काेराेना की दूसरी लहर में बहुत कड़ी पाबंदिया नहीं हाेने की वजह से यह वृद्धि संभव हाे पाई है.
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के प्रधान अर्थशास्त्री सुनील सिन्हा ने कहा कि हालांकि स्वस्थ सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि मुख्य रूप से आधार प्रभाव के कारण होती है, फिर भी यह इंगित करता है कि COVID 2.0 के बावजूद आर्थिक गतिविधियां जारी रहीं क्योंकि स्थानीय और क्षेत्रीय प्रतिबंध उतने कड़े नहीं थे जितने कि COVID 1.0 के दौरान थे.
हालांकि कुछ अर्थशास्त्रियों ने चालु वित्त वर्ष की पहली तिमाही में विकास दर कम रहने का अनुमान लगाया था, लेकिन हाल के दिनों में जारी किए गए कई उच्च आवृत्ति संकेतक (frequency indicators) जैसे कि बिजली उत्पादन, ऑटोमोबाइल बिक्री और ईंधन की खपत में दूसरी कोविड लहर के बावजूद आर्थिक गतिविधियों में बदलाव देखने काे मिला. दूसरी लहर में देश में 2,50,000 से अधिक लोगाें की जान चली गई थी.
आपूर्ति की बात करें ताे कृषि ने अच्छा प्रदर्शन जारी रखा क्योंकि कृषि क्षेत्र में 4.5% की मजबूत वृद्धि दर्ज की गई है, जो कम नहीं है क्योंकि इस क्षेत्र ने पिछले साल 3.5% की वृद्धि दर्ज की है, जब पूरे देश में पूर्ण लॉकडाउन था.
सिन्हा के अनुसार, औद्योगिक क्षेत्र ने कृषि क्षेत्र से भी बेहतर प्रदर्शन किया, जिसे कोविड -19 वैश्विक महामारी के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था में एकमात्र उम्मीद के रूप में देखा जा रहा था. बता दें कि देश में काेराेना महामारी की वजह से अब तक 4,38,000 से अधिक लोगों की जान चली गई वहीं दुनिया भर में 4.5 मिलियन से अधिक लोगों की माैत हुई है.