अगरतला :राजनीतिक दलों को क्षेत्रीय गठजोड़ की मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि पार्टियों के बीच राजनीतिक व्यवस्था हर गुजरते घंटे के साथ नया मोड़ ले रही है. हाल ही में पूर्व विधायक अनिमेष देबबर्मा, जिन्होंने पहले अपनी राजनीतिक पार्टी एनसीटी का आईएनपीटी में विलय कर लिया था, ने आधिकारिक रूप से प्रद्योत किशोर देबबर्मन के टीआईपीआरए का दामन थाम लिया.
देबबर्मा अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ सर्वसम्मति से नवगठित पार्टी में शामिल हुए. प्रद्योत ने नए लोगों का स्वागत किया और कहा कि एकता के लिए उनका आह्वान वास्तव में क्षेत्रीय राजनीति के लिए सुखद परिणाम देने वाला है. इन सभी राजनीतिक घटनाक्रमों के बीच एक राजनीतिक पार्टी जो सबसे अधिक नुकसान उठाने वाली है, निश्चित रूप से इंडीजेनस नेशनलिस्ट पार्टी ऑफ टिप्रा होगी. जो शायद सबसे पुरानी क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी है.
आईपीपीटी का टिप्रालैंड के आह्वान के खिलाफ शुरुआत से ही सख्त रुख रहा था. दल ने प्रद्योत किशोर देव बर्मन द्वारा दिए गए थानसा (यूनिट) के आह्वान का जवाब दिया था, लेकिन आईपीएफटी के रूप में जो तुलनात्मक रूप से पहाड़ियों में एक मजबूत उपस्थिति है, टीआईपीआरए के साथ गठबंधन किया. आईएनपीटी और टीआईपीआरए के बीच गठबंधन को अंतिम रूप देने के बाद शुक्रवार की रात आईएनपीटी के सुप्रीमो बीके ह्रंगखवाल और जगदीश देबबर्मा ने बिना समय बर्बाद किए और टीआईपीआरए के अध्यक्ष प्रद्योत किशोर देबबर्मन से मुलाकात की.