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MP : कौन सा सियासी भूचाल लाएगा सिंधिया का दौरा ? बढ़ेगा दबदबा या घटेगा कद ! - बढ़ेगा दबदबा या घटेगा कद

राज्यसभा में बीजेपी के सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया (jyotiraditya Scindia) के प्रदेश दौरे से राजनीति में हलचल तेज होने के कयास हैं. सिंधिया समर्थक मान रहे हैं कि उनके दौरे से प्रदेश में उनका दबदबा और बढ़ेगा. लेकिन बीजेपी इसे रूटीन बता रही है.

सिंधिया का दौरा
सिंधिया का दौरा

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Published : Jun 8, 2021, 11:57 PM IST

भोपाल :मध्य प्रदेश के सियासी पारे में उबाल आ रहा है. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया (jyotiraditya Scindia) प्रदेश में सत्ता और संगठन में अपना दबदबा कायम रखना चाहते हैं. इसलिए वे मध्यप्रदेश के दौरे पर आ रहे हैं . उनकी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी मुलाकात होगी. इस दौरान वे संगठन के पदाधिकारियों से भी मिलेंगे.

क्या गुल खिलाएगा सिंधिया का दौरा

सिंधिया ने कांग्रेस से सत्ता छीनकर बीजेपी की झोली में डाल दी थी. राज्य की राजनीति में ये चर्चा काफी समय से होती रही है कि इसके बदले में आखिर सिंधिया को मिला क्या. फिलहाल बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा में भेजा है. इसके अलवावा उनके कुछ समर्थकों को राज्य मंत्रिमंडल में सीट मिली है. लेकिन लोग कहते हैं कि ज्यातिरादित्य इससे काफी ज्यादा चाहते हैं. वे ये बताना चाहते हैं कि राज्य में बीजेपी सत्ता में है, तो उनकी बदौलत. ऐसे में उनका ये दौरा कई सियासी सवालों का जवाब देगा और कई नए सवालों का जन्म भी देगा.

सिंधिया समर्थक उत्साहित, बीजेपी ने बताया रूटीन

ज्योतिरादित्य सिंधिया के चार से पांच समर्थकों को निगम मंडल की कमान देने पर तकरीबन मुहर लग चुकी है. साथ ही 15 से 20 करीबियों को संगठन में जगह देने पर भी सहमति बन चुकी है. निगम मंडल में जिन्हें जगह मिलना तय मानी जा रहा है उनमें गिर्राज दंडोतिया, इमरती देवी, रघुराज कंसाना, ऐंदल सिंह कंसाना और मुन्नालाल गोयल के नाम सामने आ रहे हैं. चर्चा है कि इन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिल सकता है. सूत्रों के मुताबिक सिंधिया चाहते हैं कि उनके आधा दर्जन समर्थकों को निगम मंडल में जगह मिले. फिलहाल चार से पांच के नाम तो संगठन की तरफ से तय हैं

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कयास हैं, लगाने दीजिए

भले ही राजनीति के पंडित सिंधिया के तेवर को लेकर कई तरह की बातें कर रहे हैं, लेकिन सिंधिया समर्थक मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया का कहना है कि ये उनका रूटीन दौरा है. इसमें कोई खास बात नहीं है. वे जब भी प्रदेश दौरे पर आते हैं तो मुख्यमंत्री से भी मिलते हैं. प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा के साथ-साथ संगठन के पदाधिकारियों से भी उनकी मुलाकात होती है. इसमें नया क्या है. लोग कयास लगाते रहते हैं उन्हें लगाने दीजिए.

अब सिंधिया बीजेपी के हैं, मेल-मुलाकात होना सामान्य बात

बीजेपी भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के दौरे को ज्यादा हाइट नहीं देना चाहती. प्रदेश बीजेपी संगठन के चीफ विष्णुदत्त शर्मा कहते हैं कि सिंधिया अब बीजेपी के हैं. बीजेपी में मिलने मिलाने की परंपरा हमेशा से रही है. मुलाकातों का दौर चलता रहता है .

सत्ता और संगठन में दबदबा चाहते हैं सिंधिया

संगठन की बात करें, तो इस बार हाईकमान चाहता है कि कार्य समिति में करीब ढाई सौ सदस्य हों. सिंधिया के समर्थकों को युवा मोर्चा से लेकर प्रवक्ता और पैनलिस्ट के अलावा मोर्चा जगह दी जाएगी. सिंधिया समर्थक रक्षा सिरोनिया और मनोज चौधरी को संगठन में शामिल किया जा सकता है.पंकज चतुर्वेदी और सिंधिया के समर्थन में हमेशा ढोल बाजे लेकर उनका स्वागत करने में आगे कृष्णा घाडगे को भी युवा मोर्चा में जगह मिल सकती है.

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सत्ता मिली, संगठन की लगाम कब ?

उपचुनाव में तीन मंत्री और कई विधायक चुनाव हार गए थे. इसके बाद से सिंधिया पर दवाब था कि उनके समर्थकों को कहीं एडजस्ट किया जाए. कयास लगाए जा रहे हैं कि केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार भी होना है. इसमें भी सिंधिया की दावेदारी की चर्चा काफी समय से है. जानकार बताते हैं कि सिंधिया को लग रहा है कि मौका अच्छा है, उनकी बातों को तवज्जो भी दी जा रही है. दरअसल, पिछले साल बीजेपी संगठन के चीफ वीडी ने अपनी टीम का विस्तार किया था. उनकी टीम में युवाओं को तरजीह दी गई. लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों को जगह नहीं मिल पाई थी. सिर्फ एक समर्थक को ही जगह मिली थी.

ज्योतिरादित्य सिंधिया को कैसे बैलेंस करेंगे नरेन्द्र सिंह तोमर?

सूत्रों के मुताबिक नरेंद्र सिंह तोमर, प्रभात झा, बीडी शर्मा और संगठन पदाधिकारियों का प्रहलाद पटेल के बंगले पर मुलाकात के भी सियासी मायने हैं. चर्चा है कि ग्वालियर चंबल में एक बैलेंस बनाकर सिंधिया के समर्थकों को जगह दी जा सकती है. जानकार बताते हैं कि सिंधिया का कद बढ़ेगा तो नरेंद्र सिंह तोमर और प्रभात झा के लिए मुश्किल पैदा हो सकती है. खासतौर से नरेंद्र सिंह तोमर नहीं चाहते कि उनके इलाके में सिंधिया की ज्यादा दखलअंदाजी हो.

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