श्रीनगर: उत्तराखंड के प्रमुख शहरों में से एक श्रीनगर गढ़वाल के ऊपर भी बड़ा खतरा मंडरा रहा है. वैज्ञानिकों ने श्रीनगर को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है. वैज्ञानिकों की मानें तो श्रीनगर में अलकनंदा नदी सातवीं बार तबाही मचा सकती है. वैज्ञानिकों ने बड़े खतरे से आगाह करते हुए सलाह दी है कि श्रीनगर में अलकनंदा के दोनों छोरों पर 65 मीटर में कोई निर्माण कार्य नहीं किया जाए.
गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्टडी: हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय का जियोलॉजी विभाग लंबे समय से उत्तराखंड के विभिन्न इलाकों का भूगर्भीय अध्ययन करता रहा है. विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रोफेसर एमपीएस बिष्ट इस अध्य्यन में शामिल रहे हैं. वतर्मान में भी वो पूर्व अध्ययनों की स्टडी कर रहे हैं.
250 मीटर ऊपर बहा करती थी अलकनंदा: एमपीएस बिष्ट के अध्ययन में जो बात निकलकर सामने आई है, उसके मुताबिक अभी अलकनंदा नदी जिस स्तर पर बह रही है, कभी वो उससे 250 मीटर ऊपर बहा करती थी. इसके प्रमाण गाद (मिट्टी) और पत्थर के रूप में मिले हैं. एमपीएस बिष्ट ने पाया कि अलकनंदा नदी ने 250 मीटर निचले स्थान तक जाते-जाते अपने 6 टेरेस (लेवल) बनाये हैं. इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि नदी ने इस दौरान कटान किया है.
पुराने स्वरूप में आई अलकनंदा तो मचाएगी तबाही: एमपीएस बिष्ट का मानना है कि यदि अलकनंदा अपने पुराने स्वरूप में आती है, जैसा कि कुछ जगहों ऐसा देखा भी गया है तो इससे भविष्य के लिए बड़ा खतरा होगा. ऐसे में एमपीएस बिष्ट ने सरकार और लोगों की सलाह दी है कि नदी के किनारों से जितना दूर हो सके रहा जाए, ताकि उनका भविष्य सुरक्षित रह सके. एमपीएस बिष्ट ने बताया कि भविष्य में सबसे ज्यादा खतरा चौरास, निचला भक्तियाना, निचला श्रीकोट और नदी किनारे बसे हुए श्रीनगर को है.
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