देहरादून : उत्तरांखड के चमोली जिले के रैणी गांव में रविवार को आई आपदा की असल वजह जानने को लेकर वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी ने दो वैज्ञानिकों की टीमों को स्टडी के लिए रवाना किया है. इस आपदा को लेकर तमाम वैज्ञानिक अलग-अलग तथ्य रख रहे हैं.
वाडिया इंस्टीट्यूट के पूर्व वैज्ञानिक और लंबे समय से ग्लेशियर पर काम कर रहे डॉ. डीपी डोभाल के अनुसार, यह आपदा हाल ही में हुई बर्फबारी के कारण आई है.
वैज्ञानिक डॉ. डीपी डोभाल ने बताया कि विंटर सीजन में अमूमन बर्फबारी होती है, लेकिन इस सीजन में उच्च हिमालयी क्षेत्रों में कम बर्फबारी हुई है. कुछ दिनों पहले तक हिमालय क्षेत्र में बर्फबारी नहीं हुई थी. अचानक कुछ दिन पहले ही उच्च हिमालयी क्षेत्रों पर बर्फबारी हुई है और बर्फबारी के कुछ घंटे बाद ही मौसम साफ हो गया. ऐसे में जो बर्फबारी हुई थी, उसे कॉम्पैक्ट होने का टाइम नहीं मिला. तापमान बढ़ने की वजह से बर्फ पिघलने लगी.
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उन्होंने कहा कि हाल ही में हुई बर्फबारी का बर्फ अगर पिघलना शुरू हो जाता है, तो यह बर्फ फिसलनी भी शुरू हो जाती है. हालांकि, यह बर्फ काफी सॉफ्ट होती है, लेकिन जब ये बर्फ पिघलना शुरू होती है, तो यह बहुत अधिक खतरनाक होती है. साथ ही जब ये बर्फ फिसलती है तो अपने साथ बहुत सारे मटेरियल लेकर आती है क्योंकि यह बहुत तेजी से पिघलती है.
डॉ. डोभाल ने कहा कि यही नहीं हिमालय के निचले क्षेत्रों में बहुत सारे लूज मटेरियल भी होते हैं, जिन्हें ये अपने साथ बहा लेती है. चमोली में आई आपदा के दौरान भी यही हुआ कि हाल ही में गिरी बर्फ पिघली और वह अपने साथ बहुत सारे मटेरियल लेकर सीधे नीचे आ गई.
15 मिनट के जल प्रलय ने मचाई तबाही
वैज्ञानिक डीपी डोभाल ने बताया कि पानी की स्पीड बहुत तेज और मात्रा बहुत ज्यादा थी, जो कुछ समय के लिए था. यानी मात्र 15 मिनट के जल प्रलय ने पूरी तबाही मचा दी. यही नहीं स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के अनुसार, पानी का लेवल करीब 10 से 15 मीटर था और वह करीब 15 मिनट तक तेजी से बहता रहा.