उदयपुर.राजस्थान में जहां एक ओर सांप्रदायिक दंगे देखने को मिल रहे हैं, वहीं उदयपुर का एक गांव ऐसा भी है जो हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की मिसाल पेश कर रहा है. उदयपुर के काया गांव से सोमवार को एक ऐसी ही राहत देने वाली खबर सामने आई है. शहर से करीब 17 किलोमीटर दूर जनजाति क्षेत्र में संचालित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय काया, जहां के सरकारी शिक्षकों ने सोमवार को इशरत बानो के निकाह बाद की रस्में पूरी कर भाईचारे ही नहीं, इंसानियत का भी फर्ज निभाया है. काया गांव के सरकारी स्कूल में इशरत बानो पिछले लंबे समय से स्कूल में विद्यालय की देखरेख का काम करती थी. ऐसे में इशरत को विद्यालय के शिक्षक अपने खर्चों पर ही वेतन दिया करते थे.
इशरत उदयपुर के सेक्टर 14 में रहती थी. माता-पिता के निधन के बाद वो (School Teachers bid farewell to Ishrat Bano) काम की तलाश में काया गांव के सरकारी स्कूल से जुड़ गई. देखते ही देखते समय निकलता गया और इशरत स्कूल के शिक्षकों के साथ परिवार जैसी घुल मिल गई थी. इशरत बानो ने अपनी कार्यशैली से सबका मन जीत लिया था. उसने करीब 5 सालों तक स्कूल में काम किया और ग्रामीण बच्चों की पढ़ाई के साथ अन्य गतिविधियों को पूर्ण जिम्मेदारी के साथ निर्वहन किया.
शिक्षकों ने पेश की आपसी सौहार्द की मिसाल. पढ़ें. आज धींगा गवर पूजन का अंतिम दिन: विदाई के समय पुरुष का आना वर्जित...शादी के लिए कुंवारे खाएंगे बेंत की मार
उज्जैन के रहने वाले सलीम से हुआ इशरत बानो निकाह: इशरत का निकाह उज्जैन के विक्रमादित्य विश्वविद्यालय में कर्मचारी सलीम खान से हुआ. मां-बाप नहीं होने के कारण इशरत की विदाई की सारी रस्में सरकारी स्कूल के शिक्षकों ने की. हालांकि इशरत का निकाह उज्जैन में संपन्न हुआ था. ऐसे में इशरत के विवाह के बाद की रस्म विद्यालय परिवार ने निभाई. दूल्हा दुल्हन को विद्यालय में बुलाकर ग्रामीणों और बच्चों की उपस्थिति में पूरे सम्मान के साथ विदाई दी. विद्यालय परिवार ने 40 से 45 हजार रुपए की आर्थिक सहयोग से दूल्हा-दुल्हन के लिए सभी घरेलू सामान और भोज की व्यवस्था भी किया.
स्कूल में मां सरस्वती और भगवान शिव की पूजा:इशरत जितने मेहनत और लगन के साथ स्कूल के बच्चों की सेवा और अन्य कामों को देखती थी. उतना ही समय स्कूल के पास स्थित महादेव की नित पूजा और जलाभिषेक में भी दिया करती थीं. स्कूल के शिक्षक घनश्याम ने जानकारी देते हुए बताया कि इशरत की लगन और सेवा को देखते हुए ग्रामीणों, बच्चों और स्कूल के प्रधानाचार्य मोहनलाल मेघवाल की उपस्थिति में इशरत को धूमधाम से विदा किया गया.