हैदराबाद: आज पूरे विश्व में विजयादशमी का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. जन-सामान्य व लोकपरंपराओं में विजयादशमी अर्थात दशहरा से जुड़ी कई मान्यताएं हैं. जैसा कि हम जानते हैं की Vijayadashami बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन भगवान राम ने Ravana के अन्याय और अत्याचार से इस संसार को मुक्त कराया था.
रावण से जुड़ी कई लोक कथाएं और मान्यताएं प्रचलित है जिनमें से एक है कि वह राक्षसों का राजा और अत्याचारी था. लेकिन इसके साथ ही उसमें कुछ अच्छाइयां भी थी जैसे कि वह परम ज्ञानी और परम शिव भक्त था. आज भी रावण के द्वारा रचित शिव तांडव स्त्रोत के बिना भगवान शिव की पूजा अधूरी मानी जाती है, उसके ज्ञानी होने का यह सबसे बड़ा प्रमाण है. स्वयं Lord Sri Ram और Hanuman जी रावण के गुणों से प्रभावित थे.
ज्ञानार्जन के लिए प्रयास करना
रावण जन्मजात ही कुशाग्र बुद्धि एवं ज्ञानी प्रवृत्ति का आदमी व्यक्ति था. उसके पिता और दादा ऋषिकुल से थे इस कारण उसे बचपन से ही वेद,पुराण और उपनिषदों का ज्ञान मिला. जिस कारण वह अत्यंत ही कुशाग्र बुद्धि का था. उसने अपने जीवन काल में कई रचनाएं की. मान्यताओं के अनुसार उसने ज्योतिष शास्त्र से जुड़ी पुस्तक रावण संहिता की रचना की. इसके साथ ही इंद्रजाल, कुमार तंत्र, प्राकृत लंकेश्वर, अंक प्रकाश, प्राकृत कामधेनु, नाड़ी परीक्षा, रावणीयम, ऋग्वेद भाष्य आदि रचनाएं की.
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राजनीति का ज्ञाता रावण
जब रावण अंतिम सांस ले रहा था, तब भगवान राम ने लक्ष्मण को रावण के पास कुछ ज्ञान की बातें सीखने के लिए भेजा. जब लक्ष्मण रावण के पास पहुंचे, तो रावण ने लक्ष्मण को बोला कि जब भी किसी के पास ज्ञानके लिए जाओ तो उसके पैरों के पास बैठो, ना कि उसके सिर के पास.
अपने लक्ष्य के लिए समर्पित होना
रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए जी जान एक कर दिया पूरी की जान लगा दी और रात दिन एक कर दिया भगवान को प्रसन्न करने के लिए उसने शिव तांडव स्त्रोत जैसा महान स्रोत रचा और उनको प्रसन्न करने के लिए कैलाश पर्वत तक को उठा दिया