दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

Setback for Anti UCC Lobby : यूसीसी पैनल के गठन के खिलाफ लगी याचिका खारिज - panel on UCC plea in SC

सुप्रीम कोर्ट ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) से जुड़ी याचिका को खारिज कर दी. इस याचिका में समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए गुजरात और उत्तराखंड में पैनल गठित करने के फैसले को चुनौती दी गई थी. कोर्ट ने कहा कि यह राज्य सरकार के दायरे में आता है.

Etv Bharat
Etv Bharat

By

Published : Jan 9, 2023, 1:16 PM IST

Updated : Jan 9, 2023, 4:26 PM IST

नई दिल्ली :सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के कार्यान्वयन के लिए समितियों के गठन के उत्तराखंड और गुजरात सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि यह याचिका यूसीसी बनाने के लिए गुजरात और उत्तराखंड द्वारा गठित समितियों के गठन को चुनौती दे रही है. पीठ में शामिल न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा ने याचिकाकर्ताओं के वकील से कहा कि अनुच्छेद 162 इंगित करता है कि राज्यों की कार्यकारी शक्ति का विस्तार विधायिका की अनुमति तक है. पीठ ने कहा, ''समिति के गठन को चुनौती नहीं दी जा सकती.''

याची ने समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए गुजरात और उत्तराखंड में पैनल गठित करने के फैसले को चुनौती दी थी. सीजेआई जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्‍यक्षता वाली पीठ ने सवाल किया कि समान नागरिक संहिता के लिए कमेटी गठित करने में गलत क्‍या है? जानकारी के मुताबिक, उच्चतम न्यायालय ने उत्तराखंड और गुजरात में यूसीसी लागू करने के लिए समितियां गठित करने के उन राज्यों की सरकारों के फैसलों को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर विचार करने से सोमवार को मना कर दिया.

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि अनूप बर्णवाल और अन्य लोगों की याचिका में दम नहीं है, इसलिये यह विचारणीय नहीं है. उसने कहा कि राज्यों द्वारा ऐसी समितियों के गठन को संविधान के दायरे से बाहर जाकर चुनौती नहीं दी जा सकती. अदालत ने कहा, ''राज्यों द्वारा संविधान के अनुच्छेद 162 के तहत समितियां गठित करने में कुछ गलत नहीं है. यह अनुच्छेद कार्यपालिका को ऐसा करने की शक्ति देता है." उत्तराखंड और गुजरात की सरकारों ने समान नागरिक संहिता लागू करने पर विचार करने के लिए समितियों का गठन किया है.

शीर्ष अदालत ने कहा कि उन्होंने केवल अपनी कार्यकारी शक्तियों के तहत एक समिति का गठन किया है, जो अनुच्छेद 162 देता है। याचिकाकर्ताओं के वकील ने अदालत से याचिका पर विचार करने का आग्रह किया. पीठ ने कहा, "समवर्ती सूची की प्रविष्टि 5 पर गौर करें."

गौरतलब है कि गोद लेने, तलाक, उत्तराधिकार, संरक्षकता, विरासत, रखरखाव, विवाह की आयु और गुजारा भत्ता के लिए धर्म और लिंग-तटस्थ समान कानून बनाने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिकाओं का एक बैच लंबित है. पिछले हफ्ते एक सुनवाई के दौरान केंद्र ने शीर्ष अदालत से कहा था कि यह विधायी नीति का मामला है.

ये भी पढ़ें :'रातों-रात नहीं हटाए जा सकते 50 हजार लोग', 4 हजार घरों को तोड़ने पर 'सुप्रीम' रोक!

(इनपुट-एजेंसी)

Last Updated : Jan 9, 2023, 4:26 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details