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सुप्रीम कोर्ट ने दिवाला और दिवालियापन संहिता के प्रमुख प्रावधानों की वैधता बरकरार रखी - Insolvency and Bankruptcy Code

सुप्रीम कोर्ट ने दिवाला और दिवालियापन संहिता के कुछ प्रावधानों को यथावत रखा है. इस संबंध में कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा है कि वे मनमाने नहीं हैं. Supreme Court,Insolvency and Bankruptcy Code,Chief Justice D Y Chandrachud

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट

By PTI

Published : Nov 9, 2023, 3:39 PM IST

Updated : Nov 9, 2023, 9:59 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने कई याचिकाकर्ताओं के इस दावे के बीच गुरुवार को दिवाला एवं दिवालियापन संहिता (IBC) के कुछ प्रमुख प्रावधानों को बरकरार रखा कि जिन लोगों के खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू की गई है, ये प्रावधान उन लोगों के समानता के अधिकार जैसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हैं.

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने आईबीसी के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देने वाली 391 याचिकाओं पर फैसला सुनाया. कई याचिकाओं में संहिता की धारा 95(1), 96(1), 97(5), 99(1), 99(2), 99(4), 99(5), 99(6) और 100 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई. ये प्रावधान किसी चूककर्ता फर्म या व्यक्तियों के खिलाफ दिवाला कार्यवाही के विभिन्न चरणों से संबंधित हैं.

प्रावधानों को संवैधानिक रूप से वैध ठहराते हुए, पीठ ने कहा कि वे मनमाने नहीं हैं, जैसा कि तर्क दिया गया है. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, 'आईबीसी को संविधान का उल्लंघन करने के लिए पूर्वव्यापी तरीके से संचालित नहीं किया जा सकता. इस प्रकार, हम मानते हैं कि क़ानून स्पष्ट मनमानी के दोषों से ग्रस्त नहीं है.' इससे पहले, शीर्ष अदालत ने अलग-अलग तारीखों पर विभिन्न आधारों पर आईबीसी प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर नोटिस जारी किए थे. सुरेंद्र बी जीवराजका द्वारा दायर मुख्य याचिका सहित सभी 391 याचिकाओं को बाद में एक साथ नत्थी कर दिया गया था.

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Last Updated : Nov 9, 2023, 9:59 PM IST

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