नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक व्यक्ति की दोषसिद्धि को बरकरार रखा. जिसे पत्नी की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट है कि निचली अदालत की ओर से दोषी साबित किये जा चुके व्यक्ति ने पीड़िता को मिट्टी के तेल में भीगा हुआ देखकर स्पष्ट रूप से स्थिति का फायदा उठाया. उसने माचिस की तीली जलाई और उस पर फेंक दिया. उसे ताकि उसे जलाया जा सके.
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने पाया कि एफआईआर और मृत्यु पूर्व बयान रिकॉर्ड में स्पष्ट रूप से पीड़िता का बयान है कि उसने अपीलकर्ता से लड़ाई और उसके हमले से बचने के लिए अपने ऊपर मिट्टी का तेल डाला था. तो उसने माचिस की तीली जलाई. उसे मारने के इरादे से जलती हुई तीली उसके ऊपर फेंक दी. इस दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि तुम मर जाओ.
पीठ ने कहा कि सबूत पूरे केस को स्पष्ट करते हैं. इसमें कोई संदेह नहीं है अपीलकर्ता गैर इरादतन हत्या के अपराध का दोषी है और आईपीसी की धारा 300 के अपवाद 4 के लाभ का हकदार नहीं है. पीठ ने कहा कि अपीलकर्ता पक्ष ने तर्क दिया है कि वह हत्या का दोषी नहीं है क्योंकि उसका कोई पूर्वनिर्धारित योजना नहीं थी. अपीलकर्ता की कार्रवाई अचानक हुई लड़ाई से उत्पन्न हुई थी. पीठ ने कहा कि आरोपी और उसकी पत्नी के बीच झगड़े का पुराना इतिहास रहा है और वे वास्तविक घटना से पहले से ही उस दिन भी झगड़ रहे थे. झगड़े के दौरान एक पड़ोसी उनके घर आया था, हालांकि, वह यह कहकर चला गया वह बाद में आएगा.
उसके बाद मिट्टी का तेल डालकर जलाने की घटना घटी. इसलिए, दोनों कृत्यों के बीच पर्याप्त समय था और यह नहीं कहा जा सकता कि अचानक झगड़ा हुआ और उकसावे के कारण आग जल गई. पीठ ने कहा कि अपीलकर्ता ने पत्नी को मिट्टी के तेल में भीगा हुआ देखा था और उसे इस बात का एहसास था कि अगर उसे जलाया जाएगा, तब भी वह जलकर मर जाएगी. यह उसे मारने के लिए एक पूर्व-निर्धारित योजना को दर्शाता है.