नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) ने इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (Institute of Charatered Accountants of India) को सीए परीक्षा (CA exams) आयोजित करने के संबंध में उठाए जाने वाले विभिन्न कदमों पर कल एक नोट जमा करने का निर्देश दिया है, ताकि अदालत उचित निर्देश पारित कर सके और मामले का निपटारा कर सके.
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर ( Justice AM Khanwilkar), न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी (Justice Dinesh Maheshwari ) और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस (Justice Aniruddha Bose ) की पीठ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें कोविड-19 को देखते हुए सीए परीक्षा में शामिल न होने पर अतिरिक्त विकल्प मांगा गया था.
कोर्ट ने सुझाव दिया कि ICAI का एक सक्षम प्राधिकारी इस बात की पहचान कर यह प्रमाणित कर सकता है कि सकता है कि क्या उम्मीदवार परीक्षा के लिए अयोग्य है और क्या उसे अगले मौके पर उपस्थित होने की अनुमति दी जानी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि केवल कोरोना कोई मुद्दा नहीं है.
इस दौरान कुछ समय पहले स्वयं कोविड-19 से लड़ने वाले न्यायाधीशों ने अपने अनुभव बताए और कहा कि ठीक होने के बाद भी कोविड का दीर्घकालिक प्रभाव (long term effects) होता है, जबकि एक प्रतियोगी परीक्षा (competitive exam) के लिए उचित तैयारी और ध्यान देने की आवश्यकता होती है जो कि प्रभावित होने पर कैंडिडेट नहीं कर पाएगा.
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा (Senior Advocate Meenakshi Arora) ने अदालत को बताया कि पिछली बार जब परीक्षा हुई थी, तो उसमें इस्तेमाल होने वाले हॉल वह थे जहां बार-बार शादियां हुई थीं और इसलिए यह सुरक्षित नहीं था. कोर्ट ने ICAI से इस पर विचार और परीक्षा आयोजित करने में एसओपी का पालन करने को कहा.
आरटी पीसीआर परीक्षणों (RT PCR tests) के लिए कौन से संस्थान अनिवार्य हैं. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि प्रत्येक छात्र इसे करवाने में सक्षम नहीं हो सकता. कोर्ट ने इससे सहमति जताई और कहा कि आरटी पीसीआर हमेशा सही नहीं होता है और ऐसे समय होता है जब व्यक्ति प्रभावित होता है, लेकिन परिणाम कुछ और ही दिखाते हैं.