नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने 2012 में इतालवी नौसैनिकों की गोलीबारी में जीवित बचे 10 मछुआरों को मुआवजा देने का अनुरोध करने वाली याचिका पर केरल उच्च न्यायालय को गुरुवार को आदेश दिया कि वह मछलियां पकड़ने वाली नौका 'सेंट एंटनी' के मालिक के लिए चिह्नित दो करोड़ रुपए की राशि अभी वितरित नहीं करे.
ये 10 मछुआरे फरवरी 2012 में उस समय 'सेंट एंटनी' पोत पर सवार थे, जब उनके दो सहयोगियों की दो इतालवी नौसैनिकों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी.
न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन की पीठ ने इन मछुआरों की याचिका पर गौर किया. इन मछुआरों ने दलील दी है कि वे भी न्यायालय द्वारा नौका मालिक के लिए तय किए गए दो करोड़ रुपए के मुआवजे के लिए पात्र हैं.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुझाव दिया कि इन मछुआरों की याचिका केरल उच्च न्यायालय भेजी जा सकती है, जिसे मुआवजा वितरित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. इसके बाद पीठ ने कहा कि नौका के मालिक फ्रेडी को नोटिस भेजना आवश्यक है क्योंकि आदेश में किसी भी प्रकार का बदलाव किए जाने से उनकी हिस्सेदारी कम होगी.
पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'इस याचिका के संबंध में नौका मालिक को नोटिस जारी किया जाए और हम केरल उच्च न्यायालय से अनुरोध करते हैं कि वह 15 जून, 2021 के आदेश के संदर्भ में नौका मालिक को दी जाने वाली राशि इस बीच वितरित नहीं करे.'
मछुआरों की ओर से पेश हुए वकील मनीष देम्बला ने कहा कि फ्रेडी और दोनों मृतकों के परिजन को मुआवजा दिया गया है. उन्होंने कहा कि फ्रेडी के लिए 10 करोड़ रुपए के मुआवजे में से दो करोड़ रुपए चिह्नित किए गए हैं और उनकी 10 लाख रुपए की नौका को हुए नुकसान के लिए उन्हें पहले 17 लाख रुपए की अनुग्रह राशि भी दी जा चुकी है.
देम्बला ने न्यायालय से जीवित मछुआरों को कुछ मुआवजा देने का आदेश जारी करके 15 जून के अपने आदेश को बदलने की अपील की और कहा कि मामले में हर्जाना मांगने के चार आधार में से एक आधार हमले में आई चोटें थीं, जिनमें मानसिक रूप से सही गई पीड़ा भी शामिल थी और उनके मुवक्किलों ने भी यह सहा है.
उन्होंने कहा, 'केरल सरकार ने अब कहा है कि उच्चतम न्यायालय के ताजा आदेश के मद्देनजर हमें कोई मुआवजा नहीं दिया जाएगा और हम केवल यह चाहते हैं कि नौका मालिक को दो करोड़ रुपए मुआवजा दिए जाने पर रोक लगाई जाए.'
पीठ ने कहा कि इस मामले में केंद्र के बजाय फ्रेडी को पक्षकार बनाया जाना चाहिए, क्योंकि वही इस याचिका का विरोध कर सकते हैं.