नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह वैवाहिक दुष्कर्म के मुद्दे पर दायर याचिकाओं पर सुनवाई अगले माह के मध्य से करेगा. इन याचिकाओं में यह कानूनी प्रश्न उठाया गया है कि अगर कोई व्यक्ति अपनी बालिग पत्नी पर शारीरिक संबंध बनाने का दबाव बनाता है तो क्या उसे दुष्कर्म के अपराध पर अभियोग से छूट है. प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने अधिवक्ता करुणा नंदी की बात पर गौर किया कि याचिकाओं पर सुनवाई की आवश्यकता है. पीठ ने कहा, "संविधान पीठ में सुनवाई जारी है. हम संविधान पीठ के मामलों के समाप्त होने के बाद इन्हें सूचीबद्ध कर सकते हैं." साथ ही पीठ ने सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता तथा अन्य अधिवक्ताओं से पूछा कि उन्हें बहस में कितना वक्त लगेगा. विधि अधिवक्ता ने कहा, "इसमें दो दिन लगेंगे. इसके (मुद्दे के) सामाजिक प्रभाव हैं."
याचिकाकर्ताओं के एक वकील ने कहा कि वे तीन दिन जिरह करेंगे. इस पर प्रधान न्यायाधीश ने मजाक में कहा, "तब इसे अगले वर्ष अप्रैल में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जा सकता है." हालांकि बाद में उन्होंने कहा कि याचिकाओं को अक्टूबर के मध्य में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा. इससे पहले वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने याचिका पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया. कुछ याचिकाकर्ताओं ने भारतीय दंड संहिता की धारा 375 (दुष्कर्म) के तहत वैवाहिक दुष्कर्म को मिली छूट की संवैधानिकता को इस आधार पर चुनौती दी है कि यह उन विवाहित महिलाओं के खिलाफ भेदभाव है, जिनका उनके पति द्वारा यौन शोषण किया जाता है. पीठ ने कहा, "हमें वैवाहिक दुष्कर्म से जुड़े मामलों को हल करना है."