दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

चुनावी बॉन्ड योजना के विरुद्ध दायर याचिकाओं पर जनवरी के अंतिम हफ्ते में सुनवाई

चुनावी बॉन्ड योजना के जरिए राजनीतिक दलों के वित्तपोषण की अनुमति देने वाले कानूनों को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) जनवरी के अंतिम सप्ताह में सुनवाई करेगा. पढ़िए पूरी खबर...

By

Published : Dec 15, 2022, 7:32 PM IST

Updated : Dec 15, 2022, 8:04 PM IST

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को कहा कि चुनावी बॉन्ड योजना के जरिए राजनीतिक दलों के वित्तपोषण की अनुमति देने वाले कानूनों को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर वह जनवरी के अंतिम सप्ताह में सुनवाई करेगा. राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले नकद चंदे के विकल्प के रूप में चुनावी बॉन्ड को पेश किया गया है. न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि इस मामले पर सुनवाई की जरूरत है.

पीठ ने कहा, 'यह 2015 का मामला है. छुट्टी की शुरुआत से ठीक पहले ऐसी कोई आपात स्थिति नहीं हो सकती... अभी कोई चुनाव भी नहीं है। हम इस पर जनवरी 2023 के अंतिम सप्ताह में सुनवाई करेंगे.' जनहित याचिका के याचिकाकर्ता एनजीओ, 'एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने न्यायालय से कहा कि याचिकाओं में कई संवैधानिक सवाल शामिल हैं, जिनका चुनावी प्रक्रिया की शुचिता पर प्रभाव है.'

उन्होंने कहा कि मुद्दे को संविधान पीठ को सौंपना है या नहीं, इस मुद्दे पर पहले गौर किया जा सकता है. शीर्ष अदालत ने कहा कि इस पर भी सुनवाई की जरूरत होगी. शीर्ष अदालत गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) 'एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स', मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और अन्य याचिकाकर्ताओं की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. इससे पहले, भूषण ने उस जनहित याचिका को शीर्ष अदालत द्वारा तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया था जिसमें केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था कि राजनीतिक दलों के वित्तपोषण और उनके बैंक खातों में कथित तौर पर पारदर्शिता की कमी से संबंधित मामले की सुनवाई लंबित रहने के दौरान चुनावी बांड की बिक्री के लिए कोई और खिड़की न खोली जाए.

एनजीओ ने एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि राजनीतिक दलों को कथित तौर पर अवैध तरीके से एवं विदेश से मिलने वाले चंदे और उनके खातों में पारदर्शिता की कमी के कारण भ्रष्टाचार बढ़ता है तथा इससे लोकतंत्र को नुकसान होता है. एनजीओ ने पश्चिम बंगाल और असम में विधानसभा चुनाव से पहले मार्च 2021 में एक अंतरिम अर्जी दायर की थी और अनुरोध किया था कि चुनावी बांड की बिक्री की खिड़की फिर से न खोली जाए.

एनजीओ ने लंबित याचिका में दायर अपनी नयी अर्जी में दावा किया था कि इस बात की गंभीर आशंका है कि पश्चिम बंगाल और असम सहित आगामी विधानसभा चुनावों से पहले चुनावी बॉन्ड की और बिक्री से राजनीतिक दलों के मुखौटा कंपनियों के जरिए अवैध वित्तपोषण में वृद्धि होगी. 20 जनवरी 2020 को, शीर्ष अदालत ने 2018 चुनावी बांड योजना पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया था और योजना पर रोक लगाने के अनुरोध वाली एनजीओ की एक अंतरिम अर्जी पर केंद्र और चुनाव आयोग से जवाब मांगा था. सरकार ने 2 जनवरी, 2018 को चुनावी बांड योजना अधिसूचित की थी.

ये भी पढ़ें - परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर भी लोकसेवक को मिल सकती है सजा : सुप्रीम कोर्ट

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Dec 15, 2022, 8:04 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details