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Bihar Caste Census : 13 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई - ETV Bharat Bihar

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राज्य में जाति आधारित जनगणना के लिए बिहार सरकार की अधिसूचना के खिलाफ जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की. सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा पीठ के समक्ष इस मामले का उल्लेख किया गया था. कोर्ट मामले की सुनवाई 13 जनवरी को करने को तैयार हो गया.

Supreme Court Etv Bharat
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Published : Jan 11, 2023, 7:57 PM IST

नई दिल्ली/पटना : बिहार में जाति सर्वेक्षण (Bihar Caste Census) कराने के फैसले को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सहमत हो गया है. सुप्रीम कोर्ट इस पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा. एक वकील ने मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए याचिका लगाई. याचिका नालंदा के एक सामाजिक कार्यकर्ता अखिलेश कुमार ने दायर की है, जिसमें कहा गया है कि यह निर्णय केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है.

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अधिसूचना को रद्द करने की मांग : पीठ में न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा ने मामले को शुक्रवार को सूचीबद्ध करने की याचिका को स्वीकार कर लिया. याचिका में जाति सर्वेक्षण के संबंध में बिहार सरकार के उप सचिव द्वारा जारी अधिसूचना को रद्द करने और संबंधित अधिकारियों को रोकने की मांग की गई है. इसमें कहा गया है कि जाति विन्यास के संबंध में संविधान में कोई प्रावधान नहीं है.

क्या दिया गया है तर्क : अधिवक्ता बरुण कुमार सिन्हा द्वारा तैयार की गई याचिका में तर्क दिया गया है कि यह कदम अवैध, मनमाना, तर्कहीन, भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक होने के अलावा, संविधान की मूल संरचना के खिलाफ भी है. इसमें आगे तर्क दिया गया कि जनगणना अधिनियम, 1948 की धारा -3 के अनुसार, केंद्र को भारत के पूरे क्षेत्र या किसी भी हिस्से में जनगणना कराने का अधिकार है.

'राज्य सरकार के पास जाति जनगणना करने का अधिकार नहीं' :दलील में कहा गया है कि जनगणना अधिनियम, 1948 की योजना यह स्थापित करती है कि कानून में जाति जनगणना पर विचार नहीं किया गया है और राज्य सरकार के पास जाति जनगणना करने का कोई अधिकार नहीं है. इसमें दावा किया कि 6 जून, 2022 की अधिसूचना ने संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन किया, जो कानून के समक्ष समानता और कानून की समान सुरक्षा प्रदान करता है.

साथ ही कहा गया, राज्य सरकार कार्यकारी आदेशों द्वारा इस विषय पर कानून के अभाव में जाति जनगणना नहीं कर सकती है. बिहार राज्य में जाति जनगणना के लिए जारी अधिसूचना में वैधानिक स्वाद और संवैधानिक स्वीकृति का अभाव है.

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