नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने नारदा स्टिंग मामले (Narada Sting Case) में कलकत्ता हाई कोर्ट के नौ जून के आदेश के खिलाफ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) और राज्य के कानून मंत्री मलय घटक की अपीलों पर 25 जून को सुनवाई करने का फैसला किया. हाई कोर्ट ने नौ जून को नारदा स्टिंग टेप मामले को स्थानांतरित करने की सीबीआई की अर्जी पर सुनवाई के दौरान ममता और मलय घटक के हलफनामे रिकॉर्ड पर लेने से इनकार कर दिया था.
प्रारंभ में ये अपीलें न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता (Justice Hemant Gupta) और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस (Justice Aniruddha Bose) की अवकाशकालीन पीठ के सामने सूचीबद्ध थीं. लेकिन न्यायमूर्ति बोस ने बिना कोई कारण बताए इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना (Chief Justice N. V. Ramana) ने इस मामले को दूसरी पीठ को सौंप दिया.
न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वर की पीठ ने अपराह्न इस विषय पर सुनवाई शुरू की. न्यायमूर्ति सरन ने प्रारंभ में ही कह दिया कि चूंकि यह मामला इस पीठ के लिए नया है, इसलिए उसे सुनवाई करने से पहले फाइलों पर नजर दौड़ाने की जरूरत है.
इस पीठ को जब यह बताया गया कि शीर्ष अदालत ने पहले उच्च न्यायालय से अनुरोध किया था कि जब तक वह इन अपीलों पर फैसला नहीं कर लेती है तब तक वह (उच्च न्यायालय) अपनी सुनवाई टाल दे, इस पर उसने (न्यायमूर्ति सरन एवं न्यायमूर्ति माहेश्वरी की पीठ ने) कहा कि वह भी यही आदेश देगी. पीठ ने कहा कि वह भी उच्च न्यायालय में इस मामले की 23 जून को निर्धारित सुनवाई दो दिन के लिये और स्थगित करने का अनुरोध करेगी.
नई पीठ ने तब सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता तथा वरिष्ठ वकीलों- राकेश द्विवेदी और विकास सिंह से सवाल किया कि क्या वे शुक्रवार को अपनी दलीलें पूरी कर लेंगे तब वकीलों ने 'हां' में जवाब दिया.
पीठ ने अपने आदेश में कहा, पहले उच्चतम न्यायालय ने 18 जून को कहा था कि उच्च न्यायालय 21 और 22 को इस मामले पर सुनवाई नहीं कर सकता है. चूंकि इस मामले आज सुनवाई नहीं हो पाई, इसलिए हम आशा करते हैं कि उच्च न्यायालय ने 25 जून से पहले किसी भी तारीख पर इस मामले पर सुनवाई नहीं करेगा.
शीर्ष अदालत को राज्य सरकार की अपील समेत तीन अपीलों पर सुनवाई करनी थी, जिनमें सीबीआई द्वारा 17 मई को तृणमूल कांग्रेस के चार नेताओं की गिरफ्तारी के दिन अपनी भूमिका को लेकर बनर्जी एवं घटक को हलफनामा दाखिल करने की अनुमति देने से इनकार करने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई है.
टीएमसी नेताओं पर सीबीआई के काम में बाधा डालने का आरोप
यह आरोप लगाया गया है कि राज्य के सत्तारूढ़ दल के इन नेताओं ने सीबीआई को इस मामले में चार नेताओं को गिरफ्तार करने के बाद अपना कानूनी दायित्व निभाने से रोकने में बड़ी भूमिका निभाई थी.