नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र को सरकारी सहायता प्राप्त और आवासीय स्कूलों में प्रति महिला छात्र आबादी के लिए लड़कियों के शौचालयों की संख्या के लिए एक राष्ट्रीय मॉडल विकसित करने और सैनिटरी नैपकिन के वितरण के लिए अपनाए जाने वाले तौर-तरीकों में एकरूपता लाने का निर्देश दिया.
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ सामाजिक कार्यकर्ता जया ठाकुर की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिका में राज्यों और केंद्र को कक्षा 6 से 12 की लड़कियों को मुफ्त सैनिटरी पैड प्रदान करने और सभी सरकारी सहायता प्राप्त और आवासीय विद्यालयों में अलग महिला शौचालय की सुविधा सुनिश्चित करने के निर्देश देने की मांग की गई थी.
केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कहा कि सरकार ने इन कार्यवाहियों के विषय से संबंधित डेटा एकत्र किया है और देश भर के स्कूलों में अपेक्षित आयु वर्ग में महिला छात्रों को सैनिटरी नैपकिन के वितरण के संबंध में एक मसौदा नीति तैयार की गई है. केंद्र के वकील ने कहा कि नीति को सभी हितधारकों की टिप्पणियां इकट्ठा करने के लिए प्रसारित किया गया है और चार सप्ताह के भीतर अंतिम नीति तैयार की जाएगी.
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'हम केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देते हैं कि सरकारी सहायता प्राप्त और आवासीय स्कूलों में प्रति महिला छात्र आबादी पर लड़कियों के शौचालयों की संख्या के लिए एक राष्ट्रीय मॉडल स्थापित करना है. साथ ही सैनिटरी नैपकिन के वितरण के लिए अपनाए जाने वाले तौर-तरीकों में एकरूपता लाएं. रिपोर्ट को लिस्टिंग की अगली तारीख (नीति जो तैयार की गई है) से अवगत कराया जाएगा...'